- 19 से 30 दिसंबर तक होगी पोस्ट बीएससी नर्सिंग एवं एमएससी नर्सिंग की काउंसलिंग - नर्सिंग में 75 प्रतिशत सीटें खाली, स्वास्थ्य व्यवस्था में भविष्य के लिए बड़ा संकट-रवि परमार भोपाल(ईएमएस)। मध्य प्रदेश में नर्सिंग शिक्षा को लेकर लंबे समय से चली आ रही अनियमितताओं और प्रशासनिक लापरवाही के बाद माननीय उच्च न्यायालय के हस्तक्षेप से आखिरकार नर्सिंग काउंसिल ने पीजी कोर्स (पोस्ट बीएससी नर्सिंग एवं एमएससी नर्सिंग) की काउंसलिंग प्रक्रिया शुरू कर दी है। यह आदेश एनएसयूआई प्रदेश उपाध्यक्ष रवि परमार की याचिका पर दिया गया, जिससे प्रदेश के हजारों नर्सिंग विद्यार्थियों को बड़ी राहत मिली है। - एमपी में नर्सिंग शिक्षा का स्तर लगातार गिरा काउंसलिंग प्रक्रिया में देरी के खिलाफ कोर्ट का दरवाजा खटखटाया रवि परमार ने कहा कि नर्सिंग घोटाले के बाद से मध्य प्रदेश में नर्सिंग शिक्षा का स्तर लगातार गिरा है। बीते तीन वर्षों से नर्सिंग की बड़ी संख्या में सीटें खाली पड़ी हैं। सत्र 2023-24 में चिकित्सा शिक्षा विभाग के अधिकारियों की लापरवाही के कारण जीरो ईयर घोषित करना पड़ा, वहीं 2024-25 में मात्र 25 से 30 प्रतिशत सीटों पर ही प्रवेश हो सके। अब सत्र 2025-26 में भी वही स्थिति बनती नजर आ रही थी, लेकिन काउंसलिंग प्रक्रिया में हो रही देरी के खिलाफ एनएसयूआई ने न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। - इस तरह रहेगी काउंसलिंग की प्रक्रिया 19 से 22 दिसंबर: रजिस्ट्रेशन 23 दिसंबर: रिक्त सीटों की जानकारी एवं मेरिट सूची जारी 24 से 25 दिसंबर: चॉइस फिलिंग 27 दिसंबर: प्रोविजनल अलॉटमेंट जारी 28 से 30 दिसंबर: दस्तावेज सत्यापन एवं कॉलेज में रिपोर्टिंग - गंभीर स्थिति है एडमिशन के आंकड़ो की जिला अध्यक्ष अक्षय तोमर ने बताया कि पीबी बीएससी नर्सिंग और एमएससी नर्सिंग में प्रवेश के आंकड़े प्रदेश की नर्सिंग शिक्षा व्यवस्था की गंभीर स्थिति को उजागर करते हैं। पीबी बीएससी नर्सिंग में शासकीय कॉलेजों की 400 सीटों में से मात्र 334 पर ही प्रवेश हो सका, जबकि 66 सीटें खाली रह गईं। वहीं निजी कॉलेजों में 3376 सीटों के मुकाबले केवल 350 छात्रों ने प्रवेश लिया और 3018 सीटें रिक्त हैं। इसी प्रकार एमएससी नर्सिंग में शासकीय कॉलेजों की 405 सीटों में से 335 पर प्रवेश हुआ, 70 सीटें खाली रहीं, जबकि निजी कॉलेजों की 1551 सीटों में से केवल 431 सीटें ही भर पाईं और 1120 सीटें खाली हैं। इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि कुल मिलाकर केवल लगभग 25 प्रतिशत सीटों पर ही प्रवेश हुआ है और करीब 75 प्रतिशत सीटें खाली पड़ी हैं। यही चिंताजनक स्थिति बीएससी नर्सिंग और जीएनएम नर्सिंग पाठ्यक्रमों में भी देखने को मिल रही है, जो नर्सिंग शिक्षा व्यवस्था की विफलता और अव्यवस्थाओं की ओर सीधा इशारा करती है। जुनेद / 19 दिसंबर