अंतर्राष्ट्रीय
21-Dec-2025
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वॉशिंगटन(ईएमएस)। जेफ्री एपस्टीन मामले से जुड़ी फाइलों के नए खुलासे ने अमेरिकी राजनीतिक गलियारों में एक नया विवाद खड़ा कर दिया है। इन दस्तावेजों के सार्वजनिक होने के बाद पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन की कुछ विवादित तस्वीरें सामने आई हैं, जबकि दूसरी ओर वर्तमान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का नाम इन फाइलों से नदारद है। इस विषमता ने न केवल राजनीतिक बहस को जन्म दिया है, बल्कि व्हाइट हाउस के इरादों पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। बिल क्लिंटन की टीम ने मौजूदा प्रशासन पर तीखा हमला करते हुए आरोप लगाया है कि पूर्व राष्ट्रपति को जानबूझकर बलि का बकरा बनाया जा रहा है ताकि उन महत्वपूर्ण जानकारियों से जनता का ध्यान भटकाया जा सके, जिन्हें प्रशासन छिपाना चाहता है। सोशल मीडिया पर जारी एक आधिकारिक बयान में क्लिंटन के प्रवक्ता ने स्पष्ट किया कि व्हाइट हाउस महीनों तक इन फाइलों को रोके रहा, और अब 20 साल पुरानी धुंधली तस्वीरों को जारी करना केवल एक सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है। प्रवक्ता के अनुसार, यह मामला कभी भी बिल क्लिंटन के इर्द-गिर्द नहीं था, बल्कि प्रशासन उस सच को दबाने की कोशिश कर रहा है जिससे वह खुद डरा हुआ है। क्लिंटन पक्ष ने मौजूदा व्हाइट हाउस चीफ ऑफ स्टाफ सूजी वाइल्स के पुराने बयानों का भी हवाला दिया, जिसमें उन्होंने स्वीकार किया था कि ट्रंप के दावों के बावजूद इस बात के कोई सबूत नहीं मिले कि क्लिंटन कभी एपस्टीन के निजी कैरेबियन द्वीप पर गए थे। क्लिंटन की ओर से यह तर्क दिया गया है कि एपस्टीन के साथ उनके संबंध केवल तब तक थे जब तक उसके अपराधों का खुलासा नहीं हुआ था। 2005 में सच्चाई सामने आते ही उन्होंने एपस्टीन से दूरी बना ली थी। उनके समर्थकों का मानना है कि इस मामले में दो तरह के लोग शामिल हैं—एक वे जिन्हें कुछ पता नहीं था और सच जानते ही अलग हो गए, और दूसरे वे जो सब जानते हुए भी संबंधों को आगे बढ़ाते रहे। क्लिंटन पक्ष का दावा है कि वे पहले समूह का हिस्सा हैं।दूसरी ओर, न्याय विभाग द्वारा जारी की गई इन तीन लाख पेजों की फाइलों पर ट्रंप के विरोधियों ने संदेह जताया है। उनका आरोप है कि ट्रंप प्रशासन ने केवल चुनिंदा दस्तावेजों को ही सार्वजनिक किया है और उन हिस्सों को जानबूझकर रोक लिया है जिनमें खुद राष्ट्रपति ट्रंप का नाम शामिल हो सकता था। हालांकि विभाग का कहना है कि जांच अभी जारी है और पीड़ितों की गोपनीयता बनाए रखने के लिए कुछ हिस्सों को संपादित किया गया है, लेकिन विरोधियों का तर्क है कि इसी संपादन की आड़ में राष्ट्रपति के नाम को फाइलों से मिटाया गया है। यह पूरा घटनाक्रम आने वाले समय में अमेरिकी लोकतंत्र और चुनावी राजनीति में एक बड़े टकराव का संकेत दे रहा है। वीरेंद्र/ईएमएस/21दिसंबर2025 ------------------------------------