- हाई कोर्ट ने साफ किया कि याचिका सुनवाई के लायक नहीं मुंबई, (ईएमएस)। मुंबई पुलिस 2022 में पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के परिवार की कथित बेहिसाब संपत्ति की शुरुआती जांच कर रही थी। हालांकि, इस जांच के बाद क्या हुआ, इसकी कोई जानकारी नहीं है। इसलिए, मूल याचिकाकर्ता अभय भिड़े और गौरी भिड़े ने बॉम्बे हाई कोर्ट में एक नई याचिका दायर की है, जिसमें मांग की गई है कि इस मामले की जांच केंद्रीय जांच एजेंसी से कराई जाए। लेकिन सोमवार को बॉम्बे हाई कोर्ट ने साफ किया कि यह याचिका सुनवाई के लायक नहीं है और याचिकाकर्ता को सही कानूनी सलाह लेने का निर्देश दिया। दरअसल अभय भिड़े ने सोमवार को न्यायाधीश अजय गडकरी और न्यायाधीश रंजीतसिंह भोसले की बेंच के सामने याचिका पेश की। कोर्ट ने कहा, यह याचिका कानूनी मुद्दों पर ठीक से तैयार नहीं की गई है। कुछ मांगें पहले ही खारिज हो चुकी हैं। इसलिए, इस पर दोबारा सुनवाई नहीं हो सकती। हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता को इस पर किसी वकील से सही कानूनी सलाह लेने का निर्देश दिया। चूंकि याचिकाकर्ता एक वरिष्ठ नागरिक हैं, तो क्या इस याचिका को अभी कोई निर्देश दिए बिना सुनवाई के लिए ले लिया जाना चाहिए? बेंच अगली सुनवाई के बाद इस पर अपना फैसला देगी। * उद्धव ठाकरे के वकीलों ने क्या दलील दी उद्धव ठाकरे अभी सत्ता में नहीं हैं। इसलिए, यह नहीं कहा जा सकता कि वे इस मामले में राज्य की जांच मशीनरी को प्रभावित करेंगे, उद्धव ठाकरे के वरिष्ठ वकील आस्पी चिनॉय ने पहले हाई कोर्ट में दलील दी थी। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि याचिकाकर्ता ने तथ्य के बजाय सुनी-सुनाई बातों के आधार पर ये आरोप लगाए हैं। इसके अलावा, याचिकाकर्ता को पहले पुलिस में शिकायत दर्ज करानी चाहिए थी। या, उन्हें दूसरे कानूनी विकल्प इस्तेमाल करने चाहिए थे। चिनॉय ने कोर्ट का ध्यान इस ओर भी दिलाया कि हाई कोर्ट अपनी शक्तियों का इस्तेमाल सिर्फ खास हालात में ही कर सकता है और याचिका खारिज करने की मांग की। * क्या है याचिका भिड़े ने 11 जुलाई, 2022 को मुंबई पुलिस कमिश्नर को एक लेटर लिखकर शिकायत दर्ज की थी। हालांकि, आज तक इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है। याचिका में भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग के सबूत होने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है ऐसा आरोप करते हुए याचिका में केंद्रीय गृह मंत्रालय, केंद्रीय वित्त मंत्रालय, सीबीआई, मुंबई पुलिस कमिश्नर, उद्धव ठाकरे, आदित्य ठाकरे, रश्मि ठाकरे और तेजस ठाकरे को प्रतिवादी बनाया गया था। याचिका में कहा गया था कि इन सभी ने भारत के संविधान, आईपीसी, सीआरपीसी, भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम और लोकप्रतिनिधि कानून का उल्लंघन किया है। * याचिकाकर्ता पर लगा 25,000 का जुर्माना उद्धव ठाकरे महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री हैं। आदित्य ठाकरे उनकी ही कैबिनेट में एक अहम मंत्री थे। इसलिए, याचिका में दावा किया गया कि लोक प्रतिनिधि के तौर पर उनके खिलाफ प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट और आईपीसी की धारा 21 लागू होती है। यह भी मांग की गई कि चूंकि प्रतिवादी क्रमांक 7 और 8 रश्मि ठाकरे, तेजस ठाकरे उद्धव ठाकरे के बहुत करीबी रिश्तेदार हैं, इसलिए उनकी भी इस कानून के तहत जांच होनी चाहिए। हालांकि, मार्च 2023 में हाई कोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया और याचिकाकर्ता पर 25,000 रूपये का जुर्माना भी लगाया। * कौन हैं गौरी भिड़े ? सामना और मार्मिक पब्लिश करने वाले ठाकरे परिवार के पास प्रबोधन प्रकाशन का प्रिंटिंग हाउस है। गौरी भिड़े के दादा का राजमुद्रा प्रकाशन इसी प्रिंटिंग हाउस के बगल में था। गौरी भिड़े का दावा है कि सामना और मार्मिक की बिक्री से अकेले मातोश्री 2 जैसी ऊँची बिल्डिंग बनाने, शानदार कारें और फार्महाउस खरीदना नामुमकिन है। चूंकि हमारा भी एक ही व्यवसाय और एक ही मेहनत है, तो आय में इतना बड़ा अंतर कैसे है? यह सवाल भी इस याचिका में उठाया गया था। एसीबी (ऑडिट सर्कुलेशन ब्यूरो) एक संगठन है जो अखबारों की छपाई और सर्कुलेशन का हिसाब रखकर उनकी क्वालिटी का मूल्यांकन करता है। गौरी भिड़े द्वारा दायर याचिका में दावा किया गया है कि सामना और मार्मिक का एसीबी ऑडिट नहीं किया गया है। साथ ही, कोरोना काल में भी प्रबोधन प्रकाशन का टर्नओवर 42 लाख और मुनाफा 11.5 करोड़ कैसे हो सकता है? इसलिए, याचिका में आरोप लगाया गया कि यह मुंबई महानगरपालिका के जरिए पद का दुरुपयोग करके वित्तीय घोटालों के जरिए इकट्ठा किया गया बेहिसाब पैसा है। संतोष झा- २२ दिसंबर/२०२५/ईएमएस