कांकेर(ईएमएस)। जिले के राम प्रसाद पोटाई कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केंद्र सिंगारभाट के चतुर्थ वर्ष के छात्रों ने ग्रामीण कृषि कार्य अनुभव कार्यक्रम के तहत ग्राम देवकोंगरा में किसानों को मशरूम उत्पादन का प्रशिक्षण दिया। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य किसानों को पारंपरिक खेती के साथ-साथ मशरूम उत्पादन जैसे स्वरोजगार से जोड़कर उनकी आय में वृद्धि करना रहा। अनिता पोटाई के निवास पर आयोजित इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में छात्रों ने ऑयस्टर मशरूम उत्पादन की वैज्ञानिक पद्धति का सजीव प्रदर्शन किया। किसानों को बीजोपचार की विधि बताते हुए बताया गया कि संक्रमण मुक्त उत्पादन के लिए गेहूं के भूसे (कुट्टी) को 200 लीटर पानी में बाविस्टिन और फॉर्मेलिन के घोल में 12 से 15 घंटे तक भिगोना आवश्यक है। प्रशिक्षण के दौरान नमी प्रबंधन पर भी विशेष जानकारी दी गई। उपचारित भूसे को सुखाकर उसमें लगभग 65 प्रतिशत नमी बनाए रखने की तकनीक समझाई गई, जो मशरूम के अच्छे विकास के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। लेयरिंग और स्पॉनिंग प्रक्रिया के अंतर्गत 10 किलो क्षमता की पॉलीथिन बैग में भूसे और मशरूम बीज (स्पॉन) की परत-दर-परत भराई कर उसमें हवा के आवागमन के लिए सूक्ष्म छिद्र करने की विधि बताई गई। कार्यक्रम के मार्गदर्शक डॉ. प्रदीप कुमार बढ़ई ने मशरूम उत्पादन को कम जगह और कम मेहनत में अधिक मुनाफा देने वाली खेती बताया। उन्होंने कहा कि यह न केवल ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती देता है, बल्कि पोषण की दृष्टि से भी अत्यंत लाभकारी है। इस अवसर पर चंद्रशेखर मरकाम, अमर सिंह, ममता सेठिया, मीना उसेंडी, मेहुल कुमार, रश्मि साहू, अल्का पटेल, खुशबू ठाकुर, लेखनी सहित अन्य ग्रामीण व छात्र उपस्थित रहे। ईएमएस(राकेश गुप्ता)23 दिसम्बर 2025