नई दिल्ली (ईएमएस)। आयुर्वेद और आधुनिक विज्ञान, दोनों इस बात पर सहमत हैं कि थायराइड केवल दवाओं से नियंत्रित होने वाली बीमारी नहीं है, बल्कि यह शरीर के संपूर्ण संतुलन से जुड़ा विकार है। हार्मोन को संतुलित रखने के लिए भोजन और रोजमर्रा की आदतों में बदलाव बेहद जरूरी है। आयुर्वेद के अनुसार, थायराइड की समस्या मुख्य रूप से अग्नि यानी पाचन शक्ति और कफ दोष के असंतुलन से जुड़ी होती है। जब पाचन कमजोर हो जाता है, तो शरीर में विषैले तत्व जमा होने लगते हैं, जिससे हार्मोनल सिस्टम प्रभावित होता है। वहीं विज्ञान भी मानता है कि थायराइड से ग्रसित लोगों का मेटाबॉलिज्म धीमा पड़ जाता है। ऐसे में कुछ खाद्य पदार्थ और आदतें स्थिति को और बिगाड़ सकती हैं। खासतौर पर चीनी, कैफीन और शराब का अत्यधिक सेवन थायराइड के मरीजों के लिए नुकसानदायक माना जाता है। आयुर्वेद में अत्यधिक मीठे स्वाद को कफ बढ़ाने वाला बताया गया है। ज्यादा चीनी खाने से शरीर में भारीपन, आलस्य और चर्बी तेजी से बढ़ती है। वैज्ञानिक शोध बताते हैं कि अधिक शुगर लेने से इंसुलिन का संतुलन बिगड़ता है, जिससे वजन बढ़ता है और शरीर में सूजन आने लगती है। चूंकि थायराइड के मरीज पहले से ही वजन बढ़ने की समस्या से जूझते हैं, ऐसे में मिठाइयों का सेवन उनकी परेशानी को और गंभीर बना देता है। चीनी कम करने से न केवल थायराइड पर सकारात्मक असर पड़ता है, बल्कि डायबिटीज, मोटापा और हृदय रोगों का खतरा भी घटता है। कैफीन को लेकर भी आयुर्वेद और विज्ञान दोनों सतर्क रहने की सलाह देते हैं। आयुर्वेद में इसे शरीर को जरूरत से ज्यादा उत्तेजित करने वाला माना गया है, जो समय के साथ स्नायु तंत्र और ग्रंथियों को थका देता है। वैज्ञानिक अध्ययनों में पाया गया है कि कैफीन थायराइड ग्रंथि के काम में बाधा डाल सकता है और दवाओं के असर को भी कम कर देता है। खासकर सुबह खाली पेट कॉफी पीने से हार्मोन अचानक सक्रिय हो जाते हैं, जिससे बेचैनी और थकान बढ़ सकती है। शराब को आयुर्वेद में शरीर के लिए विष समान बताया गया है। विज्ञान के अनुसार, शराब का सीधा असर लिवर पर पड़ता है, जबकि लिवर ही थायराइड हार्मोन को सक्रिय रूप में बदलने का काम करता है। जब लिवर कमजोर होता है, तो हार्मोनल संतुलन बिगड़ने लगता है। शराब छोड़ने से थायराइड के साथ-साथ फैटी लिवर, एसिडिटी और मानसिक तनाव में भी सुधार देखा गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि थायराइड से राहत के लिए सादा और संतुलित भोजन, समय पर खाना, हल्का व्यायाम और पर्याप्त नींद बेहद जरूरी है। आयुर्वेद और विज्ञान दोनों इस बात पर जोर देते हैं कि जब शरीर को सही पोषण और आराम मिलता है, तो वह खुद को संतुलित करने की क्षमता विकसित कर लेता है। बता दें कि आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में थायराइड की समस्या तेजी से आम होती जा रही है। जो बीमारी कभी युवाओं में कम देखी जाती थी, वह अब बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक को प्रभावित कर रही है। विशेषज्ञ मानते हैं कि इसके पीछे बदलती जीवनशैली, गलत खानपान, मानसिक तनाव और शारीरिक गतिविधियों की कमी सबसे बड़ी वजह हैं। सुदामा/ईएमएस 25 दिसंबर 2025