राष्ट्रीय
27-Dec-2025
...


मुंबई (ईएमएस)। बीएमसी चुनाव के लिए उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे आपसी गिले-शिकवे भुलाकर एक साथ आ गए हैं। बुधवार को मुंबई में उद्धव-राज ठाकरे संयुक्त रूप से प्रेस कॉफ्रेंस कर गठबंधन का ऐलान किया। बीएमसी ही नहीं बल्कि दूसरे नगर निगमों में भी शिवसेना (यूबीटी) और मनसे मिलकर चुनावी किस्मत आजमाएंगी। उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे ने एक सुर में कहा कि हमारी सोच एक है और हम दोनों भाई भी एक साथ हैं। उद्धव ने आगे कहा कि मुंबई को तोड़ने की कोशिश हो रही है। मुंबई को महाराष्ट्र से अलग नहीं होने देंगे। आपसी लड़ाई से मुंबई को नुकसान हुआ है, लेकिन अब हमें टूटना नहीं है। ठाकरे ब्रदर्स एक साथ मजबूती से खड़े नजर आ रहे हैं, लेकिन क्या पवार परिवार में भी एकता होगी? शिवसेना संस्थापक बाल ठाकरे के बेटे उद्धव हैं तो भतीजे राज ठाकरे हैं। उद्धव और राज ठाकरे रिश्ते में चचेरे भाई हैं। दोनों नेता एक ही मंच पर मराठी मानुस के लिए आवाज उठाते थे, लेकिन बाल ठाकरे ने अपने सियासी वारिस के तौर पर उद्धव को बढ़ाया, तो 2005 में राज ठाकरे शिवसेना से अलग हो गए। 2006 में महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) 2006 से लेकर अभी तक उद्धव और राज अपनी अलग-अलग सियासत कर रहे थे, लेकिन 2024 के विधानसभा चुनाव के बाद महाराष्ट्र की राजनीतिक हालत बदल गए हैं। उद्धव के राइटहैंड माने जाने वाले एकनाथ शिंदे ने शिवसेना को अपने कब्जे में ले लिया। महाराष्ट्र की सत्ता उद्धव ठाकरे पहले ही गंवा चुके हैं। महज सत्ता ही नहीं बल्कि पार्टी और बालासाहेब ठाकरे की विरासत उनके हाथों धीरे-धीरे निकलती जा रही है। बीएमसी का चुनाव उद्धव के लिए अपना आखिरी किला बचाने की लड़ाई है, जिसके लिए उद्धव और राज साथ आए गए हैं। उद्धव ठाकरे ने गठबंधन की घोषणा करते हुए कहा, हमारी सोच एक है। हमें मराठियों का संघर्ष और उनका बलिदान याद है। आज हम दोनों भाई एक साथ खड़े हैं और आगे भी साथ रहेंगे। दिल्ली में बैठे लोग हमें तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन इस बार हमें टूटना नहीं है। अगर ऐसा हुआ तो यह हमारे पूर्वजों के बलिदान का अपमान होगा।उद्धव ने आगे कहा, हम ठाकरे भाई यहां हैं। सत्ता में बैठे लोग सब कुछ खत्म करने की कोशिश कर रहे हैं। अगर किसी ने मुंबई को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की, तो हम उसका मुकाबला करेंगे। भाजपा के नारे बंटेंगे तो कटेंगे पर उन्होंने पलटवार किया। उद्धव ठाकरे ने कहा, लड़ेंगे तो टूटेंगे। राज ठाकरे ने कहा कि, मराठी मानूस किसी को परेशान नहीं करता, लेकिन अगर कोई मराठी मानूस को परेशान करता है तो फिर वह किसी को नहीं छोड़ता। मैंने पहले ही कहा था कि महाराष्ट्र किसी भी निजी झगड़े से बड़ा है। आज हम दोनों भाई साथ आए हैं। सीटों का बंटवारा हमारे लिए मायने नहीं रखता। अगला मेयर मराठी होगा और हमारा होगा। ठाकरे परिवार में जिस तरह से सियासी बिखराव हो गया था, उसी तरह से 2023 में पवार परिवार भी दो धड़ों में बंट गया है। शरद पवार के छत्रछाया में भतीजे अजित पवार ने राजनीतिक तौर-तरीका सीखा, लेकिन 2023 में अपने चाचा शरद पवार के खिलाफ बगावत का बिगुल फूंक दिया। एनसीपी के 40 विधायकों के साथ बीजेपी से हाथ मिला लिया। अजित पवार ने शरद पवार से पार्टी और नेता सब छीन लिया, जिसके चलते पवार परिवार दो हिस्सों में बंट गया। अजित पवार महायुति सरकार में डिप्टीसीएम हैं और उनकी पार्टी के आधा दर्जन नेता फडणवीस कैबिनेट में मंत्री हैं। इसके बाद भी बीएमसी सहित राज्य के बाकी के नगर निगम चुनाव में बीजेपी ने अजित पवार से किनारा कर लिया है। बीजेपी एकनाथ शिंदे की शिवेसना के साथ मिलकर चुनाव लड़ रही है, लेकिन अजित पवार की एनसीपी से गठबंधन नहीं है। ऐसे में अजित पवार नगर निगम चुनाव में सहारा तलाश रहे हैं, जिसके लिए शरद पवार की एनसीपी से लेकर कांग्रेस तक से गठबंधन की दरकरार में है। 2024 के विधानसभा चुनावों में अजित पवार के ताकतवर होकर उभरने के बाद शरद पवार की स्थिति कमजोर हुए है। अजित पवार और शरद पवार के बीच नजदीकी रिश्ते बढ़ रहे हैं तो सुप्रिया सुले भी नरम हुई हैं। पुणे और पिंपरी चिंचवड़ को अपने गढ़ को बचाने के लिए अजित पवार कांग्रेस के अलावा एनसीपी (शरद पवार) गुट से भी हाथ मिलने की योजना पर काम कर रहे हैं। अजित पवार पुणे के प्रभारी मंत्री हैं, जिसके चलते उनकी साख दांव पर लगी हुई है। उपमुख्यमंत्री अजीत पवार पिछले तीन दिनों से पुणे में हैं और दोनों गुटों को एक साथ लाने की कोशिश कर रहे हैं। उनके प्रयास अगर सफल हो गए हैं और दोनों गुट पुणे और पिंपरी-चिंचवड नगर निगम चुनावों में एक साथ चुनाव लड़ते नजर आएंगे। पुणे नगर निगम चुनाव में गठबंधन पर सुप्रिया सुले ने मंगलवार को बड़ा बयान दिया था। अजित पवार के साथ गठबंधन के सवाल पर उन्होंने कहा था कि अभी कोई औपचारिक बातचीत शुरू नहीं हुई है। दरअसल, 2017 के पुणे नगर निगम चुनावों में बीजेपी को 97 सीटें मिली थीं। एनसीपी 39 सीटें जीती थी। शिवसेना को 10, कांगेस को 9 और मनसे को 2 सीटों मिली थी। 1 सीट एआईएमआईएम और 4 सीटें अपक्ष को मिली थी। अजित पवार पुणे में बीजेपी के खिलाफ किस्मत आजमा रहे हैं। सुदामा नरवरे/27 दिसंबर 2025