वाशिंगटन(ईएमएस)। अमेरिकी एफ-35 लड़ाकू विमानों को लेकर पेंटागन की ऑडिट रिपोर्ट में गंभीर समस्याएँ सामने आई हैं, पेंटागन की इस रिपोर्ट ने प्रोग्राम और बनाने वाली कंपनी लॉकहीड मार्टिन की चिंता बढ़ा दी है। रिपोर्ट में बताया गया कि एफ-35 विश्वसनीयता, लागत और मिशन कार्यान्वयन में अपेक्षित स्तर पर खरा नहीं उतर रहा है। इसके चलते यूरोप और एशिया के कई देश अब एफ-35 की बजाय यूरोफाइटर टाइफून, राफेल और ग्रिपेन जैसे विकल्पों या खुद के विमान निर्माण पर ध्यान दे रहे हैं, जिससे अमेरिकी रक्षा बाजार पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। ऑडिट के अनुसार, एफ-35 की सबसे बड़ी चुनौती इसकी जटिल तकनीक और तीन वेरिएंट को एक ही एयरक्राफ्ट फ्रेम पर विकसित करना रही। हर वेरिएंट अलग सैन्य जरूरतों के लिए डिज़ाइन किया गया है, जिससे डिजाइन और निर्माण में कई समस्याएँ पैदा हुईं। इसके साथ ही, सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट भी एक बड़ी बाधा बन गया है। टेक्नोलॉजी रिफ्रेश 3 (टीआर-3) अपग्रेड की वजह से ब्लॉक-4 विमानों का निर्माण धीमा हो गया है। कॉन्ट्रैक्टरों द्वारा इंजन और एयरक्राफ्ट डिलीवरी में देरी, मैन्युफैक्चरिंग मुद्दे और पार्ट्स की कमी ने समस्याओं को और बढ़ा दिया। बड़ी संख्या में एफ-35 विमानों को उनके आवश्यक कंपोनेंट्स की कमी के कारण फाइनल ऑपरेशन सर्टिफिकेट (एफओसी) नहीं मिल पा रहा है। टीआर-3 अपग्रेडेशन और ब्लॉक-4 तकनीकी सुधारों के कारण एफ-35 प्रोग्राम की लागत अनुमान से करीब 6 बिलियन डॉलर अधिक होने की आशंका है और यह पहले निर्धारित समय से कम से कम पांच साल बाद पूरा होगा। अमेरिकी रक्षा विभाग ने समय पर डिलीवरी सुधारने के लिए कंपनियों को लाखों डॉलर प्रोत्साहन भी दिए हैं, लेकिन फिर भी देरी और तकनीकी चुनौतियाँ बनी हुई हैं। बात दें कि अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप अपने इस कबाड़ लड़ाकू विमान को दुनिया के देशों को बेचने के लिए तूले है। आशीष दुबे / 27 दिसंबर 2025