अंतर्राष्ट्रीय
28-Dec-2025
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यरूशलेम,(ईएमएस)। सोमालिया से अलग हुए क्षेत्र सोमालीलैंड को एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता देने के इजरायल के ऐतिहासिक फैसले ने वैश्विक राजनीति में हलचल पैदा कर दी है। पिछले 30 से अधिक वर्षों में यह पहली बार है जब किसी देश ने सोमालीलैंड को आधिकारिक मान्यता दी है। हालांकि, इस फैसले के बाद पूरी दुनिया दो खेमों में बंटती नजर आ रही है, जहाँ इजरायल के इस कदम का अमेरिका सहित कई क्षेत्रीय संगठनों और देशों ने कड़ा विरोध किया है। इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने सोमालीलैंड के राष्ट्रपति डॉ. अबदीरहमान मोहम्मद अबदुल्लाह को बधाई देते हुए उनके नेतृत्व की प्रशंसा की और उन्हें इजरायल दौरे के लिए आमंत्रित किया। नेतन्याहू के इस कदम को रणनीतिक माना जा रहा है, लेकिन उनके इस फैसले ने इजरायल के सबसे करीबी सहयोगी अमेरिका को भी चौंका दिया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस मामले पर स्पष्ट रुख अपनाते हुए सोमालीलैंड को मान्यता देने से साफ इनकार कर दिया है। ट्रंप ने कहा कि अमेरिका ऐसा कोई फैसला नहीं करने वाला है और उन्होंने इस विषय पर अधिक विचार नहीं किया है। दिलचस्प बात यह है कि जल्द ही डोनाल्ड ट्रंप और बेंजामिन नेतन्याहू की मुलाकात होने वाली है, जिसमें इस मुद्दे पर चर्चा होने की संभावना है। सोमालीलैंड ने 1991 में सोमालिया से स्वतंत्रता की घोषणा की थी। अपनी स्वयं की सरकार, सेना और मुद्रा होने के बावजूद, दशकों तक इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता नहीं मिली थी। अफ्रीकी संघ (एयू) ने इस घटनाक्रम पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। अफ्रीकी संघ के अध्यक्ष महमूद अली यूसुफ ने कहा कि सोमालिया की संप्रभुता को कमजोर करने का कोई भी प्रयास अफ्रीका महाद्वीप की शांति और स्थिरता के लिए खतरा है। उन्होंने स्पष्ट किया कि अफ्रीकी संघ सोमालीलैंड को अलग देश मानने की किसी भी पहल को दृढ़ता से खारिज करता है और इसे सोमालिया का अभिन्न अंग मानता है। सोमालिया की संघीय सरकार ने इजरायल के इस कदम को गैरकानूनी करार देते हुए इसका पुरजोर खंडन किया है। सरकार ने पुष्टि की है कि उत्तरी क्षेत्र यानी सोमालीलैंड, सोमालिया के संप्रभु क्षेत्र का हिस्सा बना रहेगा। विशेषज्ञों के बीच यह चर्चा का विषय बना हुआ है कि आखिर इजरायल ने इस समय यह घोषणा क्यों की और क्या इसके पीछे कोई कूटनीतिक सौदेबाजी है। विदेशी मामलों के जानकारों का कहना है कि पूर्व में इजरायल ने अमेरिकी योजना के तहत गाजा से फलस्तीनियों को शरण देने के लिए सोमालीलैंड से संपर्क किया था, जिसे बाद में छोड़ दिया गया था। मिस्र ने भी इजरायल के इस फैसले को सिरे से खारिज कर दिया है। मिस्र के विदेश मंत्रालय ने सोमालिया की एकता और क्षेत्रीय अखंडता का समर्थन करने की बात दोहराई है। वहीं, पूर्वी अफ्रीकी निकाय आईजीएडी ने इसे अंतरराष्ट्रीय कानून और संयुक्त राष्ट्र संहिता का उल्लंघन बताया है। सोमालिया के पारंपरिक सहयोगी तुर्की ने भी इजरायल की निंदा करते हुए कहा है कि वह सोमालिया के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप कर रहा है। रिपोर्ट्स के अनुसार, इजरायल अब सोमालीलैंड के लिए अन्य देशों का समर्थन जुटाने की कोशिश करेगा। यदि ऐसा होता है, तो भविष्य में यह मुद्दा वैश्विक मंच पर एक बड़े कूटनीतिक टकराव का कारण बन सकता है। वीरेंद्र/ईएमएस/28दिसंबर2025