राष्ट्रीय
28-Dec-2025


नई दिल्ली,(ईएमएस)। दिल्ली के हैदरपुर जल शोधन संयंत्र (डब्ल्यूटीपी) में हाल ही में एक गंभीर समस्या सामने आई है। इस साल अब तक प्लांट से कुल 35 शव बरामद हो चुके हैं, जो पिछले चार वर्षों में सबसे अधिक संख्या है। पुलिस के अनुसार, हर महीने औसतन दो से तीन शव प्लांट में मिलते हैं। अधिकांश शव मुनक नहर के जरिए दिल्ली पहुँचते हैं। यह नहर हरियाणा से कच्चा पानी लेकर आती है और इसमें कई हिस्सों में फिल्टर या जालियां नहीं लगी हैं, जिसके कारण शव हैदरपुर प्लांट तक आकर फिल्टर सिस्टम में फंस जाते हैं। मुनक नहर कुल 102 किलोमीटर लंबी है और यह करनाल से यमुना का पानी लेकर दक्षिण की ओर बढ़ती हुई हैदरपुर प्लांट पर समाप्त होती है। पुलिस ने बताया कि हरियाणा से शवों को नहर के रास्ते दिल्ली तक आने में कई दिन लगाते हैं। इस दौरान शव काफी सड़ जाते हैं, जिससे उनकी पहचान करना मुश्किल हो जाता है। इस साल बरामद 35 शवों में से 20 की पहचान हो पाई है, जबकि 15 शवों की पहचान अभी तक नहीं हो सकी है। इसमें डूबना, आत्महत्या, हत्या और प्राकृतिक कारणों से हुई मौतें शामिल हैं। पुलिस ने सुरक्षा बढ़ाने और निगरानी कड़ी करने के कदम उठाए हैं। हैदरपुर प्लांट के अधिकारियों से अतिरिक्त गार्ड तैनात करने और निगरानी बढ़ाने को कहा गया है। पुलिस के स्टाफ का अधिकांश समय शवों को बाहर निकालने, उनकी पहचान करने और मौत के कारणों की जांच करने में ही व्यतीत होता है। हाल ही में एक हत्या का मामला सामने आया, जिसमें दो युवकों ने अपने ही किशोर दोस्त की हत्या कर शव नहर में फेंका था। मृतक के हाथ-पैर जूतों के फीतों से बंधे थे और सिर पर गंभीर घाव थे। आरोपी आशीष और विशाल को गिरफ्तार किया गया है। इसके अलावा, दिसंबर के पहले सप्ताह में एक और शव मिला, जो एक बेघर व्यक्ति का था और उसकी मौत बीमारी के कारण हुई थी। पुलिस अभी यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि वह शव नहर में कैसे पहुँचा। साल 2022 से 2024 के बीच, हैदरपुर प्लांट के पास करीब 79 मानव शव बरामद हुए हैं। पुलिस स्टेशन के कर्मियों के लिए सबसे बड़ी चुनौती यह पता लगाना कि शव कैसे पहुंचे, उनकी पहचान करना और लावारिस शवों का अंतिम संस्कार करना। पुलिस ने हरियाणा सरकार के अधिकारियों को पत्र लिखकर नहर में जालियां या फिल्ट्रेशन यूनिट लगाने का अनुरोध किया है, ताकि शव हैदरपुर तक न पहुँचें। वर्तमान में हैदरपुर प्लांट में तीन परतों वाली जालियां लगी हैं, जो कच्चे पानी के मशीनों तक पहुँचने से पहले शव और अन्य अवशेषों को रोकती हैं। इस तरह के उपायों से प्लांट और आसपास के इलाके में सुरक्षा बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है। आशीष दुबे / 28 दिसंबर 2025