- इलाज में लापरवाही से मरीज की मौत का आरोप। - सीएमएचओ ने तीन सदस्यीय कमेटी बना जांच के लिए एमजीएम डीन को लिखा पत्र। इन्दौर (ईएमएस)। चोइथराम अस्पताल में इलाज के दौरान लापरवाही के चलते मरीज सुमन भेनिया की मौत मामले में उनके पति रमेश भेनिया ने जिला एवं सत्र न्यायाधीश के मार्फत चोइथराम अस्पताल के डॉक्टरों एवं अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही की जांच एवं कार्रवाई हेतु मुख्यमंत्री, कलेक्टर इंदौर, सीएमएचओ, थाना राजेन्द्र नगर के साथ ही सभी संबंधित विभागों के प्रमुख अफसरों को शिकायत की थी। जिस पर कार्रवाई करते सीएमएचओ ने एमजीएम मेडीकल कॉलेज डीन को पत्र लिखा है। बता दें कि मृतका के पति रमेश भेनिया जिला कोर्ट इन्दौर प्रथम जिला एवं सत्र न्यायाधीश (विशेष न्यायाधीश) के निज सहायक है। रमेश भेनिया ने चोइथराम अस्पताल में इलाज रत अपनी पत्नी की मौत के इस पूरे शिकायत मामले की जानकारी देते ईएमएस को बताया कि सबसे पहले 24 सितंबर 2025 को मेरी पत्नी सुमन भेनिया निवासी रेडियो कॉलोनी इन्दौर को चोइथराम अस्पताल में बुखार के उपचार हेतु भर्ती कराया गया था । जहां दो दिन उपचार के बाद यूटीआई के रूप में डायग्नोसिस करते हुए 26 सितंबर 2025 को छुट्टी कर दी गई। 27 सितंबर 2025 को उसे फिर उल्टी-दस्त की परेशानी होने से 28 सितंबर 2025 को फिर से अस्पताल में भर्ती कराया था। जहां डाक्टरों ने प्रारंभिक जांच के बाद उसको आइसीयू वार्ड में भेज दिया। वह आईसीयू वार्ड तक स्वयं चल कर गई थी। आईसीयू में 3 दिन अर्थात 30 सितंबर 2025 तक किए गए उपचार से उसकी स्थिति अच्छी रही तथा लगा कि एक-दो दिन में छुट्टी हो जाएगी। परन्तु 1 अक्टूबर 2025 को सुबह उसने मुझे ड्यूटी कर रही नर्स द्वारा रात में मारपीट किए जाने की बात बताई जिसकी मौखिक शिकायत करने पर उपस्थित ड्यूटी डॉक्टर ने मेरे साथ दुर्व्यवहार किया। जब मैंने अपने पारिवारिक डॉक्टर राजेश पाटीदार को बताया तथा उन्होंने मरीज अर्थात मेरी पत्नी को आईसीयू सायकोसिस होना बताया एवं बेहतर उपचार का विश्वास दिलाया। इसके बाद अस्पताल प्रबंधन, नर्स, ड्यूटी डॉक्टरों एवं उपचार कर रहे चिकित्सकों ने उसके साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया एवं उपचार में लापरवाही शुरू कर दी। 1 अक्टूबर 2025 तक वह मुझसे और मेरे परिजनों से बातचीत करती रही, खाना खाती रही किन्तु इसके बाद उसकी स्थिति बिगड़ने लगी। बातचीत कम होने लगी और उसका खाना पीना बंद हो गया। 2-3 अक्टूबर 2025 की मध्य रात को डॉक्टरों ने बताया कि मरीज को फेफड़े में संक्रमण तथा न्यूमोनिया हो गया है। इसके बाद डॉक्टरों द्वारा मंहगी जांचे एवं दवाइयां लिखी गई किन्तु उसका इन्फेक्शन कम होने के बजाए बढ़ता चला गया। और उसने बातचीत करना बंद कर दी। डॉक्टरों ने उसको वेंटीलेटर पर रख दिया। रमेश भेनिया ने ईएमएस से कहा कि जो मरीज 28 सितंबर 2025 को स्वयं अपने पैरों पर चलते हुए अस्पताल पहुंची थी और तीन चार दिन उपचार के दौरान अच्छी तरह से बातचीत कर रही थी एवं खाना चाय ले रही थी उसी मरीज की 5-6 दिन में बातचीत बंद हो गई, खाना पीना बंद हो गया एवं नली डालकर खाना देने लगे। डॉक्टरों के लापरवाहीपूर्वक इलाज के कारण ही उसकी स्थिति बिगड़ गई और उसको वेंटीलेटर तक पहुंचा दिया गया। जिसके बाद डाक्टर उसको नाकोटिक ड्रग्स, स्टेरॉइड आदि देने लगे तथा जांच कराई और इसके बाद डॉक्टरों ने मुझे बताया कि मरीज की किडनी और लीवर खराब हो गए हैं। इस कारण सीआरआरटी मशीन लगाकर तीन दिन तक डायलेसिस करना पड़ेगा जिसका खर्चा 60 हजार रूपए प्रतिदिन आएगा। हम अपने मरीज को ठीक कराने के लिए तैयार हो गए किन्तु तीन दिन डायलेसिस करने के बाद भी मरीज की स्थिति में कुछ सुधार नहीं हुआ और मशीन हटने के 8-10 घंटे के बाद ही डॉक्टरों और नसों की लापरवाही से मरीज ने दम तोड़ दिया वहीं जिसके बाद अस्पताल ने साढ़े छः लाख का बिल परिजन को भुगतान हेतु दिया। रमेश भेनिया की इस शिकायत के बाद सीएमएचओ इंदौर ने एमजीएम मेडिकल कॉलेज के डीन को तीन सदस्यीय डाक्टरों की टीम गठित कर जांच के लिए पत्र लिखा है। आनन्द पुरोहित/ 29 दिसंबर 2025