आजकल एक्सचेंज आफर्स का जमाना है। पुरानी कार, पुराने बर्तन, पुराने ऐसी, पुराने फ्रिज, पुराने
लोकतंत्र केवल जीत का उत्सव नहीं होता। वह हार के आत्ममंथन, विवेक के परीक्षण और चरित्र
(17 दिसम्बर यौन कर्मियों के खिलाफ़ हिंसा समाप्त करने का अंतर्राष्ट्रीय दिवस) भारत में
हमने बहुत तरक्की कर ली। चांद पर भी पहुंच गए। गली गली मंदिर - मस्जिद - गिरिजाघर खड़े कर लिए।
सिडनी में हुआ आतंकी हमला न केवल निंदनीय है, बल्कि यह उस वैश्विक सच्चाई की ओर भी इशारा करता
वैश्विक स्तरपर भारत का बिजली क्षेत्र अब एक ऐतिहासिक परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है।दशकों
भारतीय राजनीति का वर्तमान दौर एक ऐसे समय से गुजर रहा है जब लोकतांत्रिक संस्थाओं, चुनावी
गुरु अंबुजानंद के पास अनेक शिष्य शिक्षा ग्रहण करने के लिए आते थे। उनका आश्रम लंबे समय
शुभ संवत 2082, शाके 1947, सौम्य गोष्ठ, पौष कृष्ण पक्ष, हेमंत रितु गुरु उदय पूर्वे, शुक्रास्त
चरित्रहीन शिक्षा, मानवता विहीन विज्ञान और नैतिकता विहीन व्यापार ख़तरनाक होते हैं। -