शुभ संवत 2082, शाके 1947, सौम्य गोष्ठ, वैशाख कृष्ण पक्ष, बसंत ऋतु, गुरु उदय पूर्वे शुक्रोदय पूर्वे
कष्ट ही तो वह प्रेरक शक्ति है जो मनुष्य को कसौटी पर परखती है और आगे बढ़ाती है। - वीर सावरकर
भगवान जब जीवन देता है तो सही सही उम्र भी देl आगाह अपनी मौत से कोई बसर नहीं सामान सौ वर्ष
तेलंगाना की कांग्रेस सरकार ने एक ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित
कोई माने या न माने लेकिन मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह भाजपा के लिए
हर दिन के उजाले में हम जीवन का उत्सव मनाते हैं, पर हमें यह अहसास तक नहीं कि मृत्यु अब हमारी
भारतीय संस्कृति में पिता परिवार की धुरी होता है। उसका स्थान सर्वोपरि है। पांडव वनवास
भारतीय संस्कृति में सभी धर्मशास्त्रकारों ने, ‘‘अभिवादनशीलता’’ को महान् धर्म और सदाचार
भारत आदि-अनादि काल से संस्कृति,मानवीय सभ्यता, मान-सम्मान की संप्रभुता का अभूतपूर्व ख़जाना
वैश्विक स्तरपर चल रही अशांति, युद्ध,बम गोला बारूद के बीच रूस-यूक्रेन इजरायल- गाजा में