लेख
छोटी सी जिंदगी उम्मीदें बडी हैं कठिन हैं रास्ते मंजिलें बड़ी हैं ख़्वाब हैं सुनहले नहले पे हैं दहले कहीं धूप गहरी है कहीं छाँव ठहरी है कहीं भीड़ का रेला है कोई कहीं अकेला है कहीं हँसता कोई है कहीं रोता कोई है कहीं गम के साए हैं कहीं अपने पराए हैं कहीं बंद रास्ते पाए हैं कहीं उजाले छुपाए हैं पग-पग पर कांटे पाए हैं अपने ही पांसे बिछाए हैं धोखे पर धोखे खाए हैं अमृत में हम विष पाए हैं जिंदगी को हम जीत पाएं हैं मुठ्ठी में आसमा भींच लाए हैं हवाओं को हम साथ लाए हैं लहरों पर हम मका बनाए हैं !!समाप्त!! ईएमस / 02 अगस्त 24
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