- थोक मुद्रास्फीति सितंबर में 1.84 प्रतिशत थी, जो अक्टूबर 2024 में बढ़कर 2.36 प्रतिशत पर पहुंच गई नई दिल्ली (ईएमएस)। थोक मूल्य आधारित मुद्रास्फीति अक्टूबर महीने में बढ़कर चार महीने के उच्च स्तर पर पहुंच गई। इस वृद्धि का मुख्य कारण खाद्य वस्तुओं, सब्जियों और विनिर्मित उत्पादों की कीमतों में वृद्धि रही। थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) पर आधारित मुद्रास्फीति सितंबर महीने में 1.84 प्रतिशत थी, जो अक्टूबर 2024 में बढ़कर 2.36 प्रतिशत पर पहुंच गई। सितंबर 2024 में यह 0.26 प्रतिशत की गिरावट आई थी। खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति अक्टूबर महीने में 13.54 प्रतिशत बढ़ी, जबकि सितंबर महीने में यह 11.53 प्रतिशत थी। सब्जियों की मुद्रास्फीति में भी वृद्धि दर्ज की गई है। आलू तथा प्याज की मुद्रास्फीति अक्टूबर में क्रमशः 78.73 प्रतिशत और 39.25 प्रतिशत के उच्च स्तर पर रही। ईंधन और बिजली श्रेणी की मुद्रास्फीति अक्टूबर महीने में 5.79 प्रतिशत रही, जो सितंबर महीने में 4.05 प्रतिशत की थी। विनिर्मित उत्पादों की मुद्रास्फीति भी वृद्धि दर्ज की गई है। थोक मूल्य आधारित मुद्रास्फीति में अक्टूबर महीने में लगातार दूसरे महीने की वृद्धि दर्ज की गई है। इसके पीछे खाद्य पदार्थों, खाद्य उत्पादों के विनिर्माण, अन्य उत्पादों की कीमतों में वृद्धि भी है। इस समय, खाद्य वस्तुओं की कीमतों में तीव्र वृद्धि के साथ खुदरा मुद्रास्फीति 14 महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है। यह स्तर भारतीय रिजर्व बैंक की तय सीमा से अधिक है, जिससे नीति समीक्षा बैठक में नीतिगत ब्याज दरों में कटौती करना मुश्किल हो सकता है। आरबीआई मौद्रिक नीति तैयार करते समय खुदरा मुद्रास्फीति को ध्यान में रखता है और पिछले महीने नीतिगत दर या रेपो दर को 6.5 प्रतिशत पर यथावत रखा था। यह वृद्धि सांकेतिक नहीं है और उपभोक्ता को अध्ययन और मूल्यांकन के साथ अपनी वित्तीय योजनाओं को संशोधित करने की जरूरत है। सतीश मोरे/14नवंबर ---