क्षेत्रीय
01-May-2025
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वाराणसी (ईएमएस)। बढ़ती गर्मी के साथ काशी में गंगा पर दोहरी आफत दिखने लगी है। एक तो जल की कमी से जगह-जगह रेत उभर आयी है, दूसरे गंगा में काई जमने की समस्या बढ़ रही है। गंगा के डाउनस्ट्रीम में हनुमानगढ़ी घाट के किनारे एक से दूसरे छोर तक जबरदस्त काई जमी है, जिससे लोगों को स्नान करने से पहले हिलोर कर काई दूर करनी होती है, लेकिन काई आगे बढ़ने का नाम नहीं लेती। स्थानीय लोग इसका कारण घाट किनारे लगाई गई जेटी को मानते हैं। बचपन से नियमित गंगा स्नान करने वाले वयो वृद्धि नेमि मनोहर पांडे बताते हैं कि करीब 6 महीने पहले घाट पर जेटी लगाकर उस पर महिलाओं के लिए कपड़े बदलने के लिए चेंजिंग रूम बनाए गए।जेटी लगने की कुछ दिनों बाद से काई जमने की शुरुआत हो गई।अभी स्थिति यह है कि घाट के एक दूसरे छोर तक किनारे का जल हरा दिखाई देता है। नदी विशेषज्ञों की माने तो गंगा में काई जमना वैज्ञानिक दृष्टि से बहुत घातक लक्षण है। प्रवाहमा न जल में काई नहीं जमती है। गंगा विज्ञानी प्रो.बी डी त्रिपाठी के अनुसार विगत एक दशक में गंगा किनारे कुछ ऐसे निर्माण हुए हैं जिससे गंगा का स्वाभाविक प्रवाह प्रभावित हुआ है। इसके कारण यह समस्या सामने आ रही है। चौबेपुर क्षेत्र के गौरा उपरवार से चंद्रावती तक गंगा में रेत के टीले नजर आने लगे हैं। घटते जलस्तर से गंगा घाटों से काफी दूर जाने लगी है।गौरा उपरवार से चंद्रावती गांव के मध्य तक जगह-जगह रेट की टीले उभर आने से गंगा की धारा 3 भाग में विभाजित हो गई है। क्षेत्रीय नागरिकों की मानें तो पिछले तीन दशकों में गंगा का जलस्तर इतना कभी नहीं सिमटा था।जलस्तर ऐसे ही घटता रहा तो गंगा तट से लगभग 2 किलोमीटर तक के गांव में हैंडपंप जवाब देने लगेंगे। डॉ नरसिंह राम/01/05/2025