क्षेत्रीय
01-May-2025


महिलायें स्वसहायता समूह के माध्यम से कर रही देखरेख मछली पालन ने किया आर्थिक रूप से सशक्त भू- जल स्तर बढ़ने से किसानों को फसलों के लिए मिल रहा पानी नरसिंहपुर, (ईएमएस)। बगैर पानी के जीवन बड़ा मुश्किल होता है। लोग पानी की तलाश में न जाने कहां- कहां भटकते हैं। महिलायें पानी लाने सुबह से ही जल सरंचनाओं के पास दिखाई देने लगती है। अपनी पीने के पानी की व्यवस्था करने में लोगों का समय तो जाता ही है, उन्हें अपनी मजदूरी भी नहीं मिलती है। गोटेगांव विकासखंड की ग्राम पंचायत रोहिया के ग्राम बड़गरा में भी कुछ ऐसे ही मिलते- जुलते हालात थे। किसान वर्षा पर ही निर्भर होकर बमुश्किल फसल उत्पादन कर पाते थे और बाकी के महिनों में मजदूरी कर अपनी परिवार का भरण- पोषण करते थे। यहां भू- जल स्तर भी गिरने लगा था। ग्रामीणों को उम्मीद की नई किरण दिखी जब राज्य सरकार के पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग की अमृत सरोवर योजना से ग्राम बड़गरा में भी अमृत सरोवर बनाने की गतिविधियां शुरू हुई। इस अमृत सरोवर ने यहां के ग्रामीणों को मनरेगा योजना के तहत मजदूरी भी दिलाई। मनरेगा के तहत मजदूरों को लगभग 10 लाख 18 हजार रुपये की राशि दी गई। वर्ष 2022 में शुरू हुआ निर्माण कार्य 2025 के प्रारंभ में पूर्ण हुआ। जब यहां तालाब बनाने का काम शुरू हुआ तब प्रकृति ने भी अपना साथ दिया। यहां बंजर जमीन में तालाब निर्माण कार्य के दौरान एक पानी की झिर निकली, जो तपती और भीषण गर्मी में भी पानी की उपलब्धता सुनिश्चित कराती है। पशु- पक्षियों के लिए यह किसी वरदान से कम नहीं। ग्रामीण बताते हैं कि बरसात के समय में इस तालाब में लगभग 35 से 40 फुट पानी का भराव हो जाता है। इससे भू- जल स्तर में भी वृद्धि हुई है। ग्राम बड़गरा के किसान कहते हैं कि जब अमृत सरोवर नहीं था, तब बहुत कम पानी अपनी फसलों को दे पाते थे और बाकी के दिनों में मजदूरी करते थे। अमृत सरोवर बन जाने से अब खेतों में पानी पहुंचने लगा है। अब किसान बरसाती फसल के अलावा गेहूं, चना, मसूर, बटरा और अन्य फसलें भी लेने लगे हैं। इससे उन्हें काफी मुनाफा भी होने लगा है। आसपास के सूख चुके नलकूप भी जीवित हो चुके हैं और उनमें पर्याप्त पानी मौजूद है। अमृत सरोवर के निर्माण हो जाने से यहां के उईके परिवार स्वसहायता समूह, शांति स्वसहायता समूह और शारदा स्वसहायता समूह की 10- 10 सदस्यों ने अपनी आजीविका चलाने के लिए कार्य करना शुरू किया। उईके परिवार स्वसहायता समूह की अध्यक्ष श्रीमती रंजनी ठाकुर बताती हैं कि अमृत सरोवर के माध्यम से मछली पालन का कार्य शुरू किया। शुरूआत में उन्होंने 8 हजार रुपये के कतला, बिग्रेड मछली प्रजाति के बीज लखनादौन और सिवनी से मंगाये थे। वे गांवों के बाजार जाकर इन मछलियों को बेचते थे। इससे उन्हें लगभग 12 हजार रुपये की शुद्ध आय अर्जित हुई। वे कहती हैं कि मछली पालन उनकी आय का जरिया है। इस काम से उन्हें समाज में अलग पहचान मिली है। स्वसहायता समूह की महिलायें ही अमृत सरोवर की देखरेख का काम करती हैं। अमृत सरोवर बन जाने से ग्राम के लोग बहुत खुश हैं। ईएमएस/ राहुल वासनिक/ 01 मई 2025