डॉ रत्नेश का अद्भुत कमाल वाराणसी (ईएमएस)। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के सर सुन्दरलाल चिकित्सालय(BHU) मे पहली बार विशुद्ध आरटीरियल ग्राफ्ट का प्रयोग कर कार्डियोथोरेसिक और वैस्कुलर सर्जरी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉक्टर रत्नेश कुमार द्वारा हार्ट कि बाईपास सर्जरी कि गयी है I संज्ञाहरण टीम का नेतृत्व डॉक्टर प्रतिमा राठौर एंव डॉक्टर संजीव कुमार ने किया I युवा मरीज को दिल का दौरा पड़ा था I कोरोनरी एंजियोग्राम मे मुख्य एंव तीनों वाहिकाये अवरुद्ध थी I मरीज को बाइपास सर्जरि के लिए सी.टी.वी.एस. मे भेजा गया I प्रायः आम तौर पर दुनिया भर के 95% केन्द्रो मे ऑपरेशन के दौरान छाती कि दीवार से एक आर्टेरी और पैरो से 2 वेन का प्रयोग होता है I परन्तु विडम्बना यह है कि 90 प्रतिशत वेन 10 वर्षो मे ब्लॉक हो जाते है जिसके परिणाम स्वरूप मरीज को ऑपरेशन के पश्चात बार-बार दिल का दौरा एंव हृदय गति रुकने से मृत्यु भी हो सकती है I परन्तु इस नयी प्रक्रिया से मरीज लम्बे समय तक जीवन का लाभ ले सकता है क्योकि आरटीरियल ग्राफ्ट 20 वर्षो से अधिक चलते हैI आरटीरियल ग्राफ्ट का प्रयोग करने के लिए शल्य टीम को बहुत उन्नत कौशल और क्षमतावान होना होता है इसलिए बहुत गिने- चुने सर्जन इस तकनीक को कर पाते है I यह आधुनिक समय कि हार्ट सर्जरि कि सबसे उन्नत तकनीक है I काशी हिन्दू विश्वविद्यालय मे पहली बार इस तकनीक का प्रयोग कर पूर्वांचल के मरीजो के लिए दुनिया कि सबसे उन्नत तकनीक उपलब्ध करायी गयी है ई ऑपरेशन के प्रमुख सर्जन डॉक्टर रत्नेश कुमार ने संज्ञाहरण टीम के उत्कृष्ट कार्य एव सी.टी.वी.एस. के प्रमुख प्रोफेसर सिधार्थ लखोटिया और चिकित्सा विज्ञान संस्थान के निदेशक प्रोफेसर एस.एन.संखवार के प्रोत्साहन एंव मार्ग दर्शन को श्रेय दिया है ई प्रक्रिया के दौरान पर्फ्युज़निस्ट दिनेश मैती, आशुतोष पाण्डेय,नर्सिंग स्टाफ आनन्द कुमार, त्रिवेन्द्र त्यागी, राहुल, सतेन्द्र, दीपक, उमेश, ओ.टी. तकनीकी सहायक बैजनाथ पाल, ओम प्रकाश पटेल, अरविन्द पटेल, एंव एम.टी.एस. आशुतोष एंव अर्जुन ने महत्वपूर्ण भूमिका निभायी। डॉ नरसिंह राम/ईएमएस/26/06/2025
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