रांची(ईएमएस)। मत्स्य निदेशालय, कृषि विभाग की ओर से गुरुवार को धुर्वा स्थित मत्स्य किसान प्रशिक्षण केंद्र में राष्ट्रीय मत्स्य कृषक दिवस का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ मत्स्य उत्पादन में क्रांति लाने वाले वैज्ञानिक हीरालाल चौधरी के चित्र पर माल्यार्पण कर किया गया। इस अवसर पर मत्स्य निदेशालय के सेवानिवृत संयुक्त निदेशक मनोज कुमार ने कहा की मत्स्य उत्पादन में वृद्धि के लिए समय-समय पर मत्स्य पालकों को प्रशिक्षित किया जाना जरूरी है। प्रशिक्षण के माध्यम से मत्स्य पालकों को नई तकनीक से मत्स्य पालन के बारे में जानकारी मिलती है। जो मछली के उत्पादन में वृद्धि के लिए सहायक है।मत्स्यपालकों के अलावा समय-समय पर विभागीय अधिकारियों और कर्मियों के लिए प्रशिक्षण की व्यवस्था की जानी चाहिए। ताकि मत्स्य उत्पादन के क्षेत्र में उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल की जा सके। उन्होंने कहा कि झारखंड में रिसर्कुलेटरी एक्वाकल्चर सिस्टम (आरएएस), केज कल्चर, बायोफ्लाक और मोती पालन से मत्स्य पालकों की समृद्धि बढ़ रही है। खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में मत्स्य पालन रोजगार का एक सशक्त जरिया बन रहा है। मौके पर झारखंड के विभिन्न जिलों से आए प्रगतिशील मत्स्य कृषकों को सम्मानित किया गया। योजनाओं के सफल कार्यान्वयन में कृषकों की सहभागिता महत्वपूर्ण मत्स्य निदेशालय के सेवानिवृत अधिकारी आशीष कुमार ने कहा कि विभागीय योजनाओं के सफल कार्यान्वयन में मत्स्य कृषकों की सहभागिता महत्वपूर्ण है। विभाग में मैन पावर की कमी का हवाला देते हुए उन्होंने कहा की विभाग की योजनाओं के शत-प्रतिशत सफल होने में विभागीय कर्मियों का भी महत्वपूर्ण योगदान होता है। मत्स्य उत्पादन के लक्ष्य के अनुरूप उपलब्धि हासिल करने के लिए पर्याप्त संख्या में विभागीय कर्मियों की आवश्यकता पर उन्होंने बल दिया। इस अवसर पर संयुक्त निदेशक अमरेंद्र कुमार, सहायक निदेशक शंभू प्रसाद यादव, मुख्य अनुदेशक प्रशांत कुमार दीपक सहित काफी संख्या में मत्स्य विभाग के कर्मी मौजूद थे। इधर, राष्ट्रीय मत्स्य कृषक दिवस पर भुवनेश्वर में आयोजित समारोह में झारखंड के मत्स्य निदेशक डॉ एचएन द्विवेदी शामिल हुए। भुवनेश्वर में आयोजित कार्यक्रम का मत्स्य किसान प्रशिक्षण केंद्र, धुर्वा में आयोजित कार्यक्रम में सीधा प्रसारण किया गया। कर्मवीर सिंह/10जुलाई/25