बालाघाट (ईएमएस). जिले के वन परिक्षेत्र कटंगी से लगातार वन्य प्राणी बाघ के इंसानी हमलों की घटनाएं सामने आ रही है। 9 जुलाई को तिरोड़ी तहसील के महकेपार सर्किल के कन्हडग़ांव बीट क्रमांक 794 में मवेशी चराने गए एक चरवाहे पर बाघ ने प्राणघातक हमला कर दिया। घटना शाम करीब 4 बजे के आस-पास की बताई जा रही है। घायल शख्स को उपचार के लिए जिला अस्पताल में भर्ती करवाया गया है। हमले के दौरान चरवाहे ने बाघ से भिडकऱ अपनी जान बचाई है। जानकारी अनुसार कन्हडग़ांव निवासी बस्तीराम पिता गेंदू शनिचरे जंगल में मवेशी चराने के लिए गया हुआ था। जहां बारिश होने पर वह रेनकोट पहनकर केनाल पर शांत बैठा हुआ था, तभी बाघ ने उस पर अचानक से हमला कर दिया। बस्तीराम ने बाघ को सामने देख बहादुरी दिखाई और पास में मौजूद लकड़ी के डंडे से बाघ पर वार कर अपना बचाव किया। जिसके चलते बाघ मौके से भाग गया। बाघ के हमले से घायल होने के बाद बस्तीराम कुछ दूर पहुंचा और उसनेे वन विभाग व अपने परिजनों को दूरभाष पर सूचना दी। बाघ के हमले से बस्तीराम के बाएं हाथ और सिर पर चोट के निशान बने है। अनुमान लगाया जा रहा है कि केनाल पर रेनकोट पहनकर शांत बैठे चरवाहे को बाघ ने जंगली सुअर समझकर हमला कर दिया होगा। फिलहाल बस्तीराम की हालत में सुधार है। गौरतलब हो कि तिरोड़ी तहसील के पठार अंचल में बाघ की उपस्थिति से लोगों में भय का माहौल बना हुआ है। ग्रामीण अकेले खेत की तरफ जाने से भी डरते है। पठार अंचल में वन्य प्राणी बाघ ने इंसानी शिकार की घटनाओं को अंजाम दिया है। इन घटनाओं के बाद काफी डर का माहौल बना हुआ है। खैरलांजी, कुड़वा में बाघ ने दो लोगों को मौत के घाट उतार दिया। वन विभाग ने एक बाघ का रेस्क्यू भी किया लेकिन अब भी जंगल में वन्य प्राणी बाघों की मौजूदगी के साक्ष्य आए दिन सामने आ रहे है। वन विभाग भी लोगों को जंगल में जाने से मना कर रहा है, लेकिन गांवों में लोग अब भी मवेशियों को चराने के लिए जंगल की तरफ जाते है। ग्रामीणों का कहना है कि गांव में मवेशियों को चराने के लिए चारागाह की भूमि नहीं है। इसलिए मजबूरी में जंगल में ही जाना पड़ता है। भानेश साकुरे / 10 जुलाई 2025