इन्दौर (ईएमएस) उपभोक्ता को वारंटी अवधि में लैपटॉप बदलकर देने के बाद उस लैपटॉप में भी वही समस्या आने पर कंपनी ने लैपटॉप बदलने से साफ इनकार कर दिया, मामले में उपभोक्ता ने उपभोक्ता फोरम ने केस दायर किया जिस पर सुनवाई पश्चात फोरम ने कंपनी को आदेश दिया कि कंपनी लैपटॉप की कीमत रूपए 84,000 ब्याज सहित लौटाए। साथ ही मानसिक प्रताड़ना और परिवाद खर्च के रूप में पांच पांच हजार की अतिरिक्त राशि भी चुकाए। प्रकरण कहानी संक्षेप में इस प्रकार है कि 17 अगस्त 2020 को कल्पतरु कम्प्यूटर्स से पुनीत तिवारी निवासी रेडियो कॉलोनी ने आसुस कंपनी का लैपटॉप 84,000/- में खरीद भुगतान ऑनलाइन किया। कल्पतरु कम्प्यूटर्स ने डेमो पीस देख ऑनलाइन ऑर्डर करने का कहते बताया था कि पैक पीस खोलकर डेमो दिया तो वह लैपटॉप फिर किसी को नहीं बेचा जा सकेगा। इस पर पुनीत ने डेमो देखकर भुगतान कर ऑनलाइन लैपटॉप प्राप्त किया जिसमें इंस्टॉल करने के बाद पुनीत को स्क्रीन पर धब्बे, बैटरी चार्जिंग की समस्या और लैपटॉप के अत्यधिक गर्म होने जैसी खामियां नजर आईं। उन्होंने पहले इसे कल्पतरु कम्प्यूटर्स को दिखाया, जहां से उन्हें मंगल सिटी मॉल स्थित कंपनी के सर्विस सेंटर भेजा गया। सर्विस सेंटर ने जांच के बाद 27 अगस्त 2020 को उसी मॉडल का नया लैपटॉप उपलब्ध कराया। लेकिन उस लैपटॉप में भी पहले जैसी सारी समस्याएं फिर से आने लगीं। पुनीत ने जब दोबारा संपर्क किया तो कल्पतरु कम्प्यूटर्स ने बताया कि फिलहाल वह मॉडल उपलब्ध नहीं है, इसलिए लैपटॉप नहीं बदला जा सकता। इसके बाद लगातार टालमटोल की जाती रही। जिस पर पुनीत ने 18 सितंबर 2020 को जिला उपभोक्ता फोरम में परिवाद दायर किया। इसमें कल्पतरु कम्प्यूटर्स, इंफो साल्युसंस प्रा. लि. (सर्विस सेंटर) और आसुस इंडिया प्रा. लि. (मुंबई) को पक्षकार बनाया गया। परिवाद सुनवाई में कल्पतरु कम्प्यूटर्स की ओर से कोई उपस्थिति नहीं हुआ वहीं इंफो साल्युसंस प्रा. लि. और आसुस इंडिया प्रा. लि. की ओर उपस्थित अधिवक्ताओं ने तर्क दिये कि जब ग्राहक ने लैपटॉप खोलकर देखा ही नहीं था, तो परिवाद समयपूर्व (प्री-मैच्योर) है और खारिज किया जाना चाहिए। उन्होंने तर्क दिया कि पुनीत ने कोई प्रमाण या तकनीकी जांच रिपोर्ट पेश नहीं की जिससे यह साबित हो कि लैपटॉप में मैन्युफैक्चरिंग डिफेक्ट है। वहीं कंपनी की ओर से कैविएट एम्प्टर सिद्धांत लागू करने की बात भी कही गई, जिसमें ग्राहक को वस्तु खरीदते समय पूरी जांच करनी होती है इसके लिए पुनीत की ओर से उनका शपथ-पत्र, भुगतान रसीदें और ऑनलाइन दस्तावेज पेश किए गए। फरियादी पुनीत तिवारी की और से अधिवक्ता नरेंद्र तिवारी ने तर्क दिया कि जब कंपनी ने पहली बार लैपटॉप बदला था, तो यह स्वयं इस बात का प्रमाण है कि उसमें निर्माण दोष था। दूसरी बार केवल यह कह देना कि मॉडल उपलब्ध नहीं है और बाद में देने की बात करना, सेवा में कमी की श्रेणी में आता है। जिससे सहमत हो फोरम अध्यक्ष विकास राय और सदस्य डॉ. निधि बारंगे ने उक्त आदेश दिया। आनन्द पुरोहित/ 09 जुलाई 2025