भारत सरकार ने क्या अघोषित रूप से सेंसरशिप शुरू कर दी है। हाल ही में ट्विटर के नए अवतार एक्स द्वारा यह खुलासा किया है। एक्स को भारत सरकार द्वारा रायटर और रॉयटर्स वर्ल्ड जैसे अंतरराष्ट्रीय समाचार संगठनों के हैंडल सहित 2300 से अधिक अकाउंट्स को ब्लॉक करने का निर्देश दिया गया था। यह निर्देश आईटी अधिनियम की धारा 69A के तहत दिया गया था। जिसमें राष्ट्रीय सुरक्षा और सार्वजनिक व्यवस्था का हवाला देकर डिजिटल कंटेंट पर रोक लगाने का निर्देश था। एक्स ने रायटर्स पर रोक लगा दी थी। इस घटनाक्रम के बाद सरकार की इस रोक पर भारत, अंतरराष्ट्रीय मीडिया और मानवाधिकार संगठनों के बीच एक नई बहस छिड़ गई है। क्या भारत में प्रेस की स्वतंत्रता खतरे में है? क्या भारत में अघोषित रूप से सेंसरशिप लागू कर दी गई है। एक्स ने भारत सरकार के आदेश को लेकर गहरी चिंता जताई है। उसने कहा है, अगर भारत सरकार के आदेशों का एक्स पालन नहीं करता, तो उसे भारत में आपराधिक मुकदमों का सामना करना पड़ सकता है। एक्स ने यह भी स्पष्ट किया है, वह सभी कानूनी विकल्पों पर गंभीरता के साथ विचार कर रहा है। एक्स ने स्पष्ट किया भारतीय कानूनों के अनुसार वह खुद भारत सरकार के इन आदेशों को अदालत में चुनौती नहीं दे सकता। भारत सरकार के नियमों एवं निर्देश के अनुसार रायटर्स को प्रतिबंधित किया गया है। इस विवाद पर भारत सरकार ने पल्ला झाड़ते हुए कहा, उसने ब्लॉक करने के लिए कोई नया आदेश नहीं दिया है। जैसे ही रायटरों के एकाउन्ट ब्लॉकिंग का मामला सामने आया। सरकार ने अनब्लॉक करने के निर्देश दे दिए हैं। सवाल उठता है, इतने बड़े वैश्विक मीडिया संस्थान के अकाउंट को बिना स्पष्ट कारण के कैसे और क्यों ब्लॉक किया गया? क्या तकनीकी खामी के आधार पर इसे रोक को नजरअंदाज किया जा सकता है। अगर यह तकनीकी कारण था, तो इसे सुधारने में 21 घंटे क्यों लगे?यह मामला केवल एक तकनीकी भूल नहीं है। यह मामला डिजिटल स्पेस में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को लेकर अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर सरकार के प्रति अविश्वास का प्रतीक बन गया है। भारत, खुद को दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र वाला देश कहता है। अब भारत सेंसरशिप के आरोपों से घिरता नजर आ रहा है। घटना ने अंतरराष्ट्रीय मीडिया में भारत की साख पर प्रश्नचिन्ह लगाने का काम किया है। प्रेस की स्वतंत्रता लोकतंत्र की रीढ़ होती है। सरकारें आलोचनात्मक या असहज सवालों को दबाने के लिए सोशल मीडिया के प्लेटफॉर्म्स को सेंसर करने का प्रयास करती हैं। ऐसे समाचार पत्र और एजेंसी जो दुनिया भर में अपने कामकाज और विश्वसनीयता के लिए जाने जाते हैं। उन्हें यदि सोशल मीडिया के प्लेटफार्म पर प्रतिबंधित किया जाता है। यह ना केवल लोकतंत्र को चोट पहुंचाएगा, बल्कि भारत की वैश्विक छवि को भी धूमिल करेगा। जरूरत है, सरकार पारदर्शिता और उत्तरदायित्व की नीति अपनाए। मीडिया स्वतंत्र रूप से बिना किसी डर और भय के अपनी भूमिका निभा सके। भारत सरकार द्वारा जिन साइट को ब्लॉक करने का आदेश दिया जाता है। उन्हें यह भी नहीं बताया जाता है कि कौन से कंटेंट के कारण उन्हें ब्लॉक किया जा रहा है। उन्हें कंटेंट हटाने के लिए भी नहीं कहा जाता है। सीधे सोशल मीडिया के प्लेटफार्म को निर्देश भेज दिए जाते हैं। अमुक साइट को ब्लॉक कर दें। दुनिया के देशों में भारत पहला ऐसा देश है, जो सोशल मीडिया के प्लेटफार्म पर सबसे ज्यादा साइट ब्लॉक करने के आदेश देता है। यदि सोशल मीडिया के प्लेटफार्म उसे ब्लॉक नहीं करते हैं, सरकार ने सोशल मीडिया के लिए ऐसे कानून बना रखे हैं। सोशल मीडिया के डिजिटल प्लेटफार्म के ऊपर अपराधिक मुकदमा दर्ज किया जा सकता है। एलन मस्क पहिले कह चुके हैं, भारत के न्यायालयों में अपराधिक मुकदमों में जमानत और सुनवाई समय पर नहीं होती है। ऐसी स्थिति में भारत सरकार के जो भी आदेश हों उनका पालन करना कंपनी की बाध्यता है। जिसके कारण सारी दुनिया के देशों में भारत के अघोषित सेंसरशिप नियमों की चर्चा बड़ी आम हो गई है। सरकार को इस पर पुनर्विचार करने की जरूरत है। एसजे/ 9 जुलाई /2025