ज़रा हटके
10-Jul-2025
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बैंकाक (ईएमएस)। हाल ही में थाईलैंड में एक ऐसी परंपरा ने खूब चर्चा बटोरी, जिसमें जुड़वां भाई-बहन की प्रतीकात्मक शादी करवाई जाती है। स्थानीय समुदायों के लिए यह परंपरा पवित्र और महत्वपूर्ण मानी जाती है। खासकर समुत प्राकान जैसे क्षेत्रों में यह मान्यता गहराई से प्रचलित है। स्थानीय मान्यताओं के मुताबिक, अगर एक ही मां के गर्भ से जुड़वां भाई और बहन पैदा होते हैं तो माना जाता है कि वे पिछले जन्म में प्रेमी थे जिनका रिश्ता किसी कारणवश अधूरा रह गया था। बौद्ध धर्म के पुनर्जन्म सिद्धांत के अनुसार, इन जुड़वां बच्चों का जन्म एक साथ होना पिछले जन्म के अधूरे कर्म का परिणाम होता है। यह विश्वास किया जाता है कि अगर इन बच्चों की आपस में प्रतीकात्मक शादी न करवाई जाए तो उनके जीवन में बीमारी, अशांति या असफलता आ सकती है। इसलिए जब बच्चे छह से आठ साल की उम्र के होते हैं तो उनके माता-पिता धूमधाम से उनकी शादी करवाते हैं। इस रस्म का मकसद बच्चों के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि सुनिश्चित करना होता है। इस अनोखी शादी में पूरी पारंपरिक थाई शादी की सभी रस्में निभाई जाती हैं। उदाहरण के तौर पर 2018 में समुत प्राकान में 6 साल के जुड़वां भाई-बहन जिनके उपनाम गिटार और कीवी थे, की शादी करवाई गई थी। इस समारोह में लड़के को दूल्हे की तरह सजाया गया और 200,000 थाई बाह्ट (करीब 5 लाख रुपये) और सोने के गहनों के रूप में दहेज भी दिया गया। लड़की को भी दुल्हन की तरह सजाया गया और पारंपरिक नृत्य, संगीत और भोज का आयोजन किया गया। माता-पिता इस शादी में सास-ससुर की भूमिका निभाते हैं और पूरी रस्म को बड़े उत्साह से पूरा करते हैं। हालांकि यह शादी समारोह सांस्कृतिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण और भव्य होता है लेकिन कानूनी रूप से इसकी कोई मान्यता नहीं है। थाईलैंड के फैमिली लॉ के तहत सगे भाई-बहन या करीबी रक्त संबंधियों के बीच विवाह प्रतिबंधित है। इसलिए यह शादी सिर्फ एक प्रतीकात्मक रस्म होती है जिसका कानूनी प्रभाव नहीं पड़ता। इस रस्म के बाद बच्चे सामान्य जीवन जीते हैं और बड़े होकर अपनी पसंद के जीवनसाथी से शादी कर सकते हैं। थाई परंपरा में दहेज, जिसे “सिन सॉड” कहा जाता है, इस रस्म का महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है। सुदामा/ईएमएस 10 जुलाई 2025