क्षेत्रीय
10-Jul-2025


बेमेतरा,(ईएमएस)। कृषि विभाग द्वारा आज सेवा सहकारी समिति कंतेली का निरीक्षण किया गया, जिसमें समिति में उर्वरक भंडारण एवं वितरण व्यवस्था की विस्तार से समीक्षा की गई। निरीक्षण के दौरान यह सुनिश्चित किया गया कि किसानों को कृषि कार्य के लिए आवश्यक उर्वरक जैसे यूरिया, पोटाश, एसएसपी आदि पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध कराए जा रहे हैं। निरीक्षण के दौरान डीएपी (डाय अमोनियम फास्फेट) की अपेक्षा एसएसपी (सिंगल सुपर फास्फेट) को भंडारित कर वितरण करने के निर्देश दिए गए। समिति प्रबंधन एवं उपस्थित कृषकों को बताया गया कि डीएपी में केवल नाइट्रोजन और फास्फोरस तत्व ही उपलब्ध होते हैं, जबकि एसएसपी में फास्फोरस के साथ-साथ कैल्शियम एवं सल्फर जैसे अतिरिक्त पोषक तत्व भी शामिल होते हैं, जो फसल के सम्पूर्ण पोषण और भूमि की उर्वरता बनाए रखने में अत्यंत सहायक हैं। निरीक्षण के दौरान समिति में उपस्थित कृषकों को विस्तारपूर्वक बताया गया कि डीएपी की जगह एसएसपी का उपयोग करने से न केवल पौधों की जड़ें मजबूत होती हैं बल्कि सल्फर तत्व के कारण पौधों की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है। कैल्शियम मिट्टी की संरचना को सुधारता है और फसल की गुणवत्ता को बेहतर बनाता है। इससे भूमि की दीर्घकालीन उर्वरता बनी रहती है। ग्राम भुरकी निवासी कृषक जयकुमार पिता बुधराम (रकबा 1.50 हेक्टेयर) ने निरीक्षण के दौरान समिति से यूरिया 8 बोरी, एसएसपी 6 बोरी तथा पोटाश 2 बोरी का तुरंत उठाव किया। उन्होंने बताया कि पहले उनके खेतों में गोटा (स्थानीय नाम चमरगोटा) जैसी समस्या देखने को मिलती थी, परंतु एसएसपी का नियमित उपयोग करने से अब यह समस्या पूरी तरह समाप्त हो चुकी है। उन्होंने एसएसपी के उपयोग को अत्यंत प्रभावी और लाभकारी बताया। सेवा सहकारी समिति कंतेली में निरीक्षण के दौरान यह भी सुनिश्चित किया गया कि किसानों को आवश्यकतानुसार सभी प्रकार की खाद पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हो। वर्तमान में समिति में उर्वरक भंडारण की स्थिति संतोषजनक है और वितरण भी सुचारू रूप से किया जा रहा है। निरीक्षण टीम द्वारा समिति को किसान क्रेडिट कार्ड तथा एग्रेस्टैक पोर्टल में अधिक से अधिक किसानों के पंजीयन के लिए निर्देशित किया गया, ताकि किसान सरकार की विभिन्न योजनाओं का लाभ समय पर प्राप्त कर सकें। राज्य सरकार एवं कृषि विभाग द्वारा किसानों की सुविधा हेतु सेवा सहकारी समितियों को सशक्त किया जा रहा है। समय पर खाद वितरण, वैकल्पिक उर्वरकों के प्रति जागरूकता, तथा वैज्ञानिक सलाह से अब किसान फसल उत्पादन और मिट्टी की सेहत, दोनों को संतुलित रख पा रहे हैं। निरीक्षण का उद्देश्य भी यही था कि किसानों तक समुचित और संतुलित पोषण युक्त उर्वरक पहुंच सके और कृषि क्षेत्र को आत्मनिर्भर एवं टिकाऊ बनाया जा सके। सत्यप्रकाश/किसुन/10 जुलाई 2025