पिछले कुछ सालों में लाखों ड्राइवर ऐप-आधारित टैक्सी सेवाओं से जुड़े हैं। क्योंकि इसमें उन्हें काम करने की आजादी, अनुकलता और तकनीकी सुविधा मिलती है। हालाँकि बढ़ते कमीशन, अस्पष्ट नीतियों, मनमाने निलंबन और सुरक्षा के अभाव ने इस वादे को कई लोगों के लिए निराशा में बदल दिया। भारत भर में तीन मिलियन से अधिक गिग ड्राइवरों द्वारा अनुभव की गई इन चुनौतियों ने व्यापक और लागू करने योग्य विनियमन की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित किया। इसके जवाब में, माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व और श्री नितिन गडकरी के मार्गदर्शन में सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय (एमओआरटीएच) ने पहले ही मोटर वाहन अधिनियम, 1988 के अंतर्गत “मोटर वाहन एग्रीगेटर दिशानिर्देश, 2020” जारी किये थे। इन दिशानिर्देशों ने राज्य सरकारों को एग्रीगेटर्स को लाइसेंस देने और उनकी निगरानी करने का अधिकार देते हुए एक नियामक ढाँचा प्रदान किया, जिससे वाहन-परिचालन उद्य़ोग के विकास को बढ़ावा मिला। ड्राइवरों और यात्रियों दोनों के लिए सुरक्षा, निष्पक्षता और जवाबदेही से जुड़ी चिंताओं को देखते हुए, सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने अब मोटर वाहन एग्रीगेटर दिशानिर्देश, 2025 पेश किया है। “यह भारत के डिजिटल मोबिलिटी इकोसिस्टम में संरचना, सुरक्षा और समावेशिता लाने के लिए एक प्रमुख नीतिगत अपडेट है”। मोटर वाहन अधिनियम 1988 के कानूनी आधार पर निर्मित इन दिशानिर्देशों का उद्देश्य ओला, उबर, रैपिडो जैसे ऐप-आधारित कैब एग्रीगेटर्स के संचालन को विनियमित करना है। इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि दिशानिर्देश संवैधानिक कार्यादेशों और न्यायिक निर्देशों के अनुरूप ड्राइवरों और यात्रियों दोनों को संतुलित लाभ प्रदान करने का प्रयास करते हैं। 2025 के दिशानिर्देशों का सबसे उल्लेखनीय पहलू है- ड्राइवरों के हितों की सुरक्षा। अब तक एग्रीगेटर प्लेटफॉर्म से जुड़े ड्राइवर, अक्सर खुद को कम कमाई, मनमाने ढंग से कार्य से हटाना (ऑफ-बोर्डिंग), बीमा का न होना और अपर्याप्त कानूनी उपायों के साथ अनिश्चित परिस्थितियों के बीच काम करते थे। नए नियम दिशानिर्देश इन प्रणालीगत कमियों को दूर करने का प्रयास करते हैं। दिशानिर्देशों में एग्रीगेटर्स को राज्यों द्वारा अधिसूचित मूल किराए के आधार पर प्रति घंटे या न्यूनतम गारंटीकृत आय सुनिश्चित करने की आवश्यकता है। इसमें यह भी अनिवार्य किया गया है कि एग्रीगेटर और ड्राइवर के बीच किराया निपटान, आपसी सहमति से दैनिक, साप्ताहिक या पाक्षिक आधार पर किया जाना चाहिए। इस कदम से हजारों ड्राइवरों को खासकर आय-प्राप्ति वाले समय में, आय में होने वाले उतार-चढ़ाव से निजात मिलने की उम्मीद है। इसके अलावा, सरकार ने अब प्रत्येक एग्रीगेटर को कम से कम 5 लाख रूपये का स्वास्थ्य बीमा और 10 लाख रूपये का सावधि बीमा प्रदान करना अनिवार्य कर दिया है। उम्मीद है कि ये सुरक्षा उपाय गिग श्रमिकों को औपचारिक श्रम संरचनाओं के दायरे में लायेंगे। इसके अलावा, नए दिशानिर्देश कमीशन में पारदर्शिता लाते हैं तथा एग्रीगेटर के हिस्से को अधिकांश मामलों में प्रत्येक किराए के 20% तक सीमित करते हैं। इससे यह सुनिश्चित होता है, कि ड्राइवर अपनी आय का एक उचित हिस्सा रख सकेंगे। एग्रीगेटर्स को भुगतान कटौती, किराया विभाजन और जुर्माने के बारे में स्पष्ट और विस्तृत जानकारी भी प्रदान करनी होगी। दिशानिर्देशों में कहा गया है कि प्रत्येक एग्रीगेटर एक औपचारिक शिकायत निवारण प्रणाली की स्थापना करेगा, जहाँ यात्रा रद्दीकरण, भुगतान विवाद या निलंबन जैसे मुद्दों का समयबद्ध और पारदर्शी तरीके से समाधान हो सके। ड्राइवरों को समय- समय पर प्रशिक्षण भी दिया जाएगा, जिसमें ऐप उपयोग, आपातकालीन प्रतिक्रिया, सड़क सुरक्षा, यातायात नियम, लैंगिक संवेदनशीलता, दिव्यांगजन जागरूकता, ग्राहक से बातचीत, डिजिटल साक्षरता आदि विषयों पर आधारित 40 घंटे का प्रशिक्षण कार्यक्रम शामिल होगा, ताकि वे भविष्य के यातायात से जुड़ी चुनौतियों के लिए बेहतर ढंग से तैयार हो सकें। यात्रियों के लिए भी ये दिशानिर्देश समान रूप से परिवर्तनकारी हैं। यात्रा सुरक्षा, डेटा गोपनीयता और किराए में हेरफेर से जुड़ी चिंताओं को ध्यान में रखते हुए नए दिशानिर्देश सुरक्षा उपाय लेकर आए हैं, जिनकी बहुत आवश्यकता थी। एग्रीगेटर प्लेटफ़ॉर्म पर सभी ड्राइवरों को अनिवार्य पुलिस सत्यापन, स्वास्थ्य जांच और व्यवहार प्रशिक्षण से गुजरना होगा। इसके अलावा, प्रत्येक वाहन में इन ऐप आपातकालीन बटन, जीपीएस-आधारित निगरानी और यात्राओं को साझा करने की सुविधाएँ होनी चाहिए, जो सभी यात्रियों, विशेषकर महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा को बढ़ाती हैं। राज्य की निगरानी में एग्रीगेटर्स द्वारा एक 24x7 नियंत्रण कक्ष और हेल्पलाइन प्रणाली स्थापित की जानी चाहिए। यात्रियों के लिए एक और बड़ा लाभ किरायों और विशेष परिस्थितियों में किराये में वृद्धि (सर्ज प्राइसिंग) का नियमन है। दिशानिर्देशों में स्पष्ट सीमाएँ निर्धारित की गई हैं: राज्य की नीति के आधार पर किराए में वृद्धि की सीमा आधार किराए के 1.5 से 2 गुना तक सीमित की गयी है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उच्च माँग के समय यात्रियों का शोषण न हो। इसके अलावा, प्लेटफ़ॉर्म को किराए का विवरण पारदर्शी रूप से प्रदर्शित करना आवश्यक है, जिसमें आधार किराया, गतिशील शुल्क, एग्रीगेटर का हिस्सा और सरकारी कर शामिल हैं। महत्वपूर्ण रूप से, दिशानिर्देश उपयोगकर्ताओं की गोपनीयता का भी ध्यान रखते हैं। एग्रीगेटर्स को भारत-स्थित सर्वरों पर उपयोगकर्ता डेटा का संग्रह करने और डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम सहित डेटा सुरक्षा रूपरेखा का पालन करने का निर्देश दिया गया है, ताकि डेटा का दुरुपयोग या लीक न होना सुनिश्चित हो सके और भारत की संप्रभु डेटा नीतियों के अनुसार इसे सुरक्षित रखा जा सके। प्रधानमंत्री मोदी के विकसित भारत@2047 के विजन, जो समावेशी और सतत विकास पर जोर देता है तथा दिव्यांगजनों के सम्मान और स्वाभिमान को बनाए रखने के लिए उनकी अटूट प्रतिबद्धता के अनुरूप, दिशानिर्देश में इस बात को अनिवार्य किया गया है कि एग्रीगेटर बेड़े का एक हिस्सा दिव्यांगजनों के अनुकूल बनाएं और कार्यबल में ड्राइवरों के रूप में दिव्यांगजनों का उचित प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करें। ऐसे वाहनों की संख्या राज्यों द्वारा स्थानीय जरूरतों और आवश्यकताओं के आधार पर निर्धारित की जाएगी। स्थायित्व के लिए एक बड़े प्रयास के तहत, एग्रीगेटर्स को अपने बेड़े में इलेक्ट्रिक मोबिलिटी, वैकल्पिक ईंधन या शून्य उत्सर्जन वाले वाहनों को शामिल करने की आवश्यकता है। संबंधित वायु नियामक निकाय वाहन-परिचालन प्लेटफार्मों के लिए राज्यवार ईवी लक्ष्य निर्धारित करेंगे, तथा यह भारत के जलवायु और स्वच्छ वायु लक्ष्यों के अनुरूप है। दिल्ली की ‘देवी’ (डीईवीआई) बसें जैसी सार्वजनिक परिवहन प्रणालियाँ ईवी एकीकरण के उदाहरण हैं, जो पहले से ही मौजूद हैं। ये दिशानिर्देश राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांतों, विशेष रूप से अनुच्छेद 39 के अनुरूप हैं, जो राज्य को निर्देश देता है कि गिग श्रमिकों सहित नागरिकों के लिए आजीविका के पर्याप्त साधनों की उपलब्धता सुनिश्चित की जानी चाहिए। इसके अतिरिक्त, संविधान के अनुच्छेद 21, जो जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार की गारंटी देता है, की न्यायालयों द्वारा की गयी व्याख्या में सुरक्षित कार्य वातावरण के अधिकार और सम्मान के साथ आवागमन के अधिकार को शामिल किया गया है। कई न्यायिक निर्णयों ने यात्रा वाहन परिचालन क्षेत्र में उचित नियमन की आवश्यकता पर बल दिया है। पीपुल्स यूनियन फॉर डेमोक्रेटिक राइट्स बनाम भारत संघ (1982) और ओल्गा टेलिस बनाम बॉम्बे नगर निगम (1985) में, सर्वोच्च न्यायालय ने अनुच्छेद 2 के एक अभिन्न अंग के रूप में आजीविका के अधिकार पर जोर दिया। उबर इंडिया सिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड बनाम भारत संघ (2020) के मामले में, दिल्ली उच्च न्यायालय ने एग्रीगेटर के मूल्य निर्धारण और लाइसेंस प्रक्रिया को विनियमित करने के राज्य सरकारों के अधिकार को बरकरार रखा, जहाँ यह कहा गया कि उपभोक्ता हितों को पूरी तरह से बाजार-संचालित मूल्य निर्धारण मॉडल के ऊपर रखा जाना चाहिए। ये फैसले 2025 के दिशानिर्देशों के तहत गिग श्रमिकों को दी गई कई सुरक्षाओं के कानूनी आधार हैं। दिशानिर्देश मोटर वाहन एग्रीगेटर्स के लाभ और यात्रियों के हितों के बीच संतुलन बनाने का एक प्रयास है, साथ ही यह अक्सर उपेक्षित गिग श्रमिकों के अधिकारों को प्राथमिकता देता है। माननीय प्रधानमंत्री के न्यूनतम सरकार, अधिकतम शासन के दृष्टिकोण के अनुरूप, नए दिशानिर्देश एक सरल नियामक प्रणाली प्रदान करते हैं। अब एग्रीगेटर 60 दिनों के भीतर सभी राज्यों में लागू सभी प्रकार के मोटर वाहनों के लिए एकल लाइसेंस प्राप्त कर सकते हैं। इससे यात्री वाहन परिचालन कंपनियों के लिए ड्राइविंग टेस्ट सुविधा की व्यवस्था करने की आवश्यकता समाप्त हो जाती है। इसके बजाय, अब उन्हें मंत्रालय की वाहन परिचालन प्रशिक्षण एवं अनुसंधान संस्थान (आईडीटीआर), क्षेत्रीय वाहन परिचालन प्रशिक्षण केंद्र (आरडीटीसी) और वाहन परिचालन प्रशिक्षण केंद्र (डीटीसी) योजना का लाभ उठाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। केंद्र सरकार द्वारा वित्त पोषित इन केंद्रों का उद्देश्य दूरदराज के क्षेत्रों में भी वैज्ञानिक प्रशिक्षण को सुलभ बनाना है, जिसमें जनसंख्या और भौगोलिक स्थिति के आधार पर आईडीटीआर के लिए 17.25 करोड़ रुपये, आरडीटीसी के लिए 5.5 करोड़ रुपये और डीटीसी के लिए 2.5 करोड़ रुपये तक का अनुदान दिया जाता है। ये संस्थान न केवल व्यक्तियों को उच्च-गुणवत्ता वाले वाहन परिचालन कौशल प्रदान कर रहे हैं, बल्कि देश भर में पेशेवर रूप से प्रशिक्षित ड्राइवरों का एक समूह बनाने में भी योगदान दे रहे हैं। इस पहल से सड़क सुरक्षा बढ़ाने और भारतीय सड़कों पर यातायात दुर्घटनाओं को कम करने में महत्वपूर्ण योगदान मिलने की उम्मीद है। सरकार ने वर्ष 2030 तक सड़क दुर्घटना में होने वाली मौतों को 50% तक कम करने का एक महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया है, यह स्वीकार करते हुए कि वर्तमान में सड़क दुर्घटनाओं के परिणामस्वरूप राष्ट्रीय सकल घरेलू उत्पाद में अनुमानित 3% का आर्थिक नुकसान होता है। इन दिशानिर्देशों का जारी होना भारत के मज़बूत संघीय ढाँचे और संवैधानिक प्रावधानों को प्रतिबिंबित करता है। भारतीय संविधान की सातवीं अनुसूची के अनुसार परिवहन समवर्ती सूची का विषय है, जो राज्यों को एग्रीगेटर्स के लाइसेंस और संचालन के लिए नियम बनाने का अधिकार देता है। अधिनियम की धारा 93 विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह केंद्र सरकार को इस उद्देश्य के लिए ऐसे दिशानिर्देश या लाइसेंस प्रक्रिया जारी करने में सक्षम बनाती है। यद्यपि केंद्र सरकार द्वारा जारी किए गए, मोटर वाहन एग्रीगेटर दिशानिर्देश 2025 का राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा स्थानीय अनुकूलन सुनिश्चित करते हुए पालन किया जा सकता है। लेकिन, राज्यों को अन्य बातों के साथ-साथ निम्नलिखित अधिकार दिए गए हैं। एग्रीगेटर्स को लाइसेंस जारी करना, किराया संरचना और उच्च मांग की अवधि में किराया वृद्धि (सर्ज प्राइसिंग) की निगरानी करना, चालक प्रशिक्षण और सत्यापन लागू करना, अनुपालन का उल्लंघन करने वाले प्लेटफार्मों को दंडित करना, साझा गतिशीलता मॉडल के तहत यात्रियों के लिए गैर-परिवहन मोटरसाइकिलों के उपयोग को अधिकृत करना, एग्रीगेटर बेड़े के लिए इलेक्ट्रिक वाहन लक्ष्य निर्धारित करना और उन्हें लागू करना। ज़िम्मेदारियों का यह विभाजन भारत के सहकारी संघवाद के मॉडल को प्रतिबिंबित करता है, जहाँ नीति निर्माण केंद्रीकृत है, लेकिन कार्यान्वयन संदर्भ-संवेदनशील और राज्य-विशिष्ट है। मोटर वाहन एग्रीगेटर दिशानिर्देश, 2025 भारत के डिजिटल मोबिलिटी इकोसिस्टम में सुधार की दिशा में एक प्रगतिशील और समय-अनुकूल कदम है। इस पहल की सफलता प्रभावी कार्यान्वयन, जन जागरूकता और प्लेटफ़ॉर्म अनुपालन पर निर्भर करेगी। यदि राज्य इसका पालन करते हैं, तो इसमें यात्री वाहन परिचालन सेवाओं को शहरी परिवहन के एक सुरक्षित, अधिक जवाबदेह और अधिक समावेशी साधन में बदलने की क्षमता है, जो पूरे देश में ड्राइवरों और यात्रियों दोनों के लिए फायदेमंद साबित होगा। ऐसे देश में जहाँ अनौपचारिक श्रमिकों का नीति-निर्माण में अक्सर प्रतिनिधित्व नहीं हो पाता है, ये दिशानिर्देश एक महत्वपूर्ण बदलाव के प्रतीक हैं। ये दिशानिर्देश ऐप-आधारित ड्राइवर को न केवल एक सेवा प्रदाता के रूप में बल्कि अधिकारों, सम्मान और आकांक्षाओं वाले एक श्रमिक के रूप में देखते हैं। ये दिशानिर्देश यात्री को केवल एक उपभोक्ता के रूप में नहीं, बल्कि एक ऐसे नागरिक के रूप में मान्यता देते हैं जो सुरक्षित, सस्ती और पारदर्शी सेवाओं का हकदार है। मोटर वाहन एग्रीगेटर दिशानिर्देश, 2025 भारत में डिजिटल मोबिलिटी क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। एग्रीगेटर्स के लिए स्पष्ट मानक और ज़िम्मेदारियाँ निर्धारित करके, ये दिशानिर्देश ड्राइवरों के लिए उचित आय और सामाजिक सुरक्षा, यात्रियों के लिए बेहतर सुरक्षा और सुविधा तथा पर्यावरण की दृष्टि से सतत प्रथाओं पर ज़ोर देते हैं। यह संतुलित और समावेशी फ्रेमवर्क न केवल भारत की बढ़ती गिग अर्थव्यवस्था की नींव को मज़बूत करता है, बल्कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के 2047 तक विकसित भारत के दृष्टिकोण के भी अनुरूप है। (लेखक- अजय टम्टा, सड़क परिवहन एवं राजमार्ग राज्य मंत्री, भारत सरकार हैं।) ईएमएस / 17 जुलाई 25