ज़रा हटके
31-Aug-2025
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लंदन (ईएमएस)। 35 से 42 साल की महिलाएं अगर भ्रूण का आनुवंशिक परीक्षण (पीजीटी-ए) करवाती हैं, तो उन्हें गर्भधारण में बेहतर और तेज़ नतीजे मिल सकते हैं। यह दावा किया है वैज्ञानिकों ने ताजा अध्ययन में। लंदन के किंग्स कॉलेज के वैज्ञानिकों ने आईवीएफ (इन विट्रो फर्टिलाइजेशन) से जुड़ी एक महत्वपूर्ण रिसर्च में नया रास्ता दिखाया है। अध्ययन के अनुसार, यह टेस्ट भ्रूण को गर्भाशय में डालने से पहले किया जाता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उसमें गुणसूत्र (क्रोमोसोम्स) सही हैं या नहीं। दरअसल, उम्र बढ़ने के साथ महिलाओं में भ्रूण में गुणसूत्र संबंधी गड़बड़ियों की संभावना अधिक होती है, जिससे गर्भधारण में कठिनाई और गर्भपात का खतरा बढ़ जाता है। अध्ययन में कुल 100 महिलाओं को शामिल किया गया। इनमें से 50 महिलाओं ने पीजीटी-ए टेस्ट कराया, जबकि 50 ने सामान्य तरीके से आईवीएफ प्रक्रिया अपनाई। नतीजों ने वैज्ञानिकों को भी चौंका दिया। पीजीटी-ए टेस्ट कराने वाली महिलाओं में लगभग 72 प्रतिशत मामलों में जीवित बच्चे का जन्म हुआ, जबकि सामान्य आईवीएफ कराने वाली महिलाओं में यह दर केवल 52 प्रतिशत रही। किंग्स कॉलेज लंदन के डॉ. यूसुफ बीबीजौन ने कहा कि आजकल अधिक से अधिक महिलाएं 35 वर्ष की उम्र के बाद परिवार शुरू करना चाहती हैं। ऐसे में भ्रूण में क्रोमोसोम्स की गड़बड़ी एक बड़ी बाधा बन जाती है, जो गर्भधारण को कठिन बना देती है। उन्होंने बताया कि इस अध्ययन से साफ है कि पीजीटी-ए टेस्ट का लक्षित उपयोग महिलाओं को जल्दी गर्भधारण करने और मानसिक तनाव से बचने में मदद कर सकता है। इस शोध की एक और अहम बात यह रही कि टेस्ट कराने वाली महिलाओं को कम प्रयासों में ही सफलता मिली। इसका मतलब है कि बार-बार आईवीएफ कराने की आवश्यकता नहीं पड़ी और समय तथा पैसे की बचत भी हुई। साथ ही असफल प्रयासों से होने वाला भावनात्मक बोझ भी कम हुआ। हालांकि वैज्ञानिकों ने यह भी स्पष्ट किया कि अभी इस विषय पर बड़े पैमाने पर शोध की आवश्यकता है। लेकिन शुरुआती नतीजे बेहद उत्साहजनक हैं। किंग्स कॉलेज के डॉक्टर शेष सुंकारा का कहना है कि अगर भविष्य की बड़ी रिसर्च भी इस निष्कर्ष की पुष्टि करती हैं, तो पीजीटी-ए टेस्ट 35 साल से अधिक उम्र की महिलाओं के लिए आईवीएफ प्रक्रिया का अहम हिस्सा बन सकता है। सुदामा/ईएमएस 31 अगस्त 2025