आज सभी जी एस टी को कम करने से बहुत से लोग तारीफों के पूल बांध रहें हैं लेकिन ऐ देश की प्रगति को धीमा कर सकता है टैक्स को कर कहते हैं जो राष्ट्र के निर्माण में बेहतर करने के लिए रक्षा,शिक्षा, कृषि, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, अनुसंधान व विकास, स्वच्छता पिने के पानी को उपलब्ध कराने व खाने पिने के चिजों पर सब्सिडी उपलब्ध कराने बाल कल्याण योजनाओं को चलाने व अन्य सामरिक संस्थानों को मदद करने के लिए आपदाओं से निपटने व प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में योजनाओं को चलाने के लिए तरह-तरह के कर लगातीं हैं। कर प्राय: धन (money) के रूप में लगाया जाता है किन्तु यह धन के तुल्य श्रम के रूप में भी लगाया जा सकता है। कर दो तरह के हो सकते हैं - प्रत्यक्ष कर (direct tax) या अप्रत्यक्ष कर (indirect tax)। प्रत्यक्ष कर वह कर यानि टैक्स है जो सीधे उन लोगों से एकत्र किया जाता है जो इनकम टैक्स के दायरे में आते हैं, जैसे कि आयकर, संपत्ति कर, संपत्ति कर आदि, जबकि एक अप्रत्यक्ष कर वह होता है जिसे आप जब भी कुछ सामान खरीदते हैं या कुछ सेवाओं का उपयोग करते हैं तो आप भुगतान करते हैं। अप्रत्यक्ष करों में मूल्य वर्धित कर (वैट), बिक्री कर, सीमा शुल्क और उत्पाद शुल्क आदि शामिल हो सकते हैंएक तरफ इसे जनता पर बोझ के रूप में देखा जा सकता है वहीं इसे सरकार को चलाने के लिये आधारभूत आवश्यकता के रूप में भी समझा जा सकता है।जीएसटी आर्थिक विकास को बढ़ावा देता है, सरकारी राजस्व बढ़ाता है और निर्माताओं पर कर का बोझ कम करता है, उत्पादन क्षमता को प्रोत्साहित करता है और भारत की राजकोषीय स्थिति को लगातार मजबूत करता है और अप्रत्यक्ष कराधान को अधिक कुशल और पारदर्शी बनाता है। 2024-25 में, जीएसटी ने ₹22.08 लाख करोड़ का अपना अब तक का उच्चतम सकल संग्रह दर्ज किया, जो साल-दर-साल 9.4 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता है। औसत मासिक संग्रह ₹1.84 लाख करोड़ रहा। वित्तीय वर्ष (FY) 2025-26 के लिए भारत का रक्षा बजट ₹6,81,210.27 करोड़ है, जो पिछले वर्ष से 9.5% की वृद्धि है, जिसका उद्देश्य सैन्य आधुनिकीकरण को बढ़ाना, घरेलू रक्षा उत्पादन को मजबूत करना और एक आत्मनिर्भर राष्ट्र का समर्थन करना है। इस आवंटन में पूंजी अधिग्रहण और आधुनिकीकरण के लिए महत्वपूर्ण धनराशि शामिल है, जिसमें आधुनिकीकरण बजट का 75% घरेलू खरीद के लिए निर्धारित है।अतः अतः आज जीडीपी को सुधारने व इकोनॉमी को पटरी पर लाने के जरुरी है सरकार के पास पैसा हो जो देश के विकास के लिए कारोबारियों से टैक्स के रुप में प्राप्त करती है वो देश की प्रगति हेतु लिया जाता है जिससे सेना का बजट,विज्ञान और टेक्नोलॉजी के विकास, गरीबों को राशन, स्वास्थ्य, बीमा, रोजगार और महिलाओ की आर्थिक स्थिति को सुधारने में लगाती है आज रक्षा अंतरिक्ष, विज्ञान और टेक्नोलॉजी में देश आत्मनिर्भर हो रहा है इसके लिए कर का महत्वपूर्ण योगदान है अतः जी एस टी को कम करना देशहित में नहीं है देश के प्रगति रक्षा और गरीबों के कल्याण हेतु कर को कम करना उचित नहीं है.कर करदाता द्वारा किया जाने वाला ऐसा अनिवार्य अंशदान है जो कि रक्षा व सामाजिक उद्देश्य जैसे आय व संपत्ति की असमानता को कम करके नए युवकों को रोजगार प्राप्त करने में सहायक होता है तथा आर्थिक स्थिरता व वृद्धि प्राप्त करने में भी सहायक होता है।वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) एक प्रकार का अप्रत्यक्ष कर है जो 1 जुलाई 2017 से पहले भारत में प्रचलित कई अप्रत्यक्ष करों, जैसे वैट, सेवा कर, केंद्रीय उत्पाद शुल्क, मनोरंजन कर, चुंगी आदि का जोड़ है। यह एक व्यापक, बहुस्तरीय-आधारित कर है: व्यापक इसलिए क्योंकि इसमें कुछ राज्य करों को छोड़कर लगभग सभी अप्रत्यक्ष कर समाहित हो गए हैं। बहुस्तरीय होने के कारण, जीएसटी उत्पादन प्रक्रिया के प्रत्येक चरण पर लगाया जाता है, लेकिन इसका उद्देश्य अंतिम उपभोक्ता के अलावा उत्पादन के विभिन्न चरणों में सभी पक्षों को वापस करना है और एक गंतव्य-आधारित कर के रूप में, इसे उपभोग के बिंदु से एकत्र किया जाता है, न कि पिछले करों की तरह उत्पत्ति के बिंदु से। कर संग्रह के लिए वस्तुओं और सेवाओं को पाँच अलग-अलग कर स्लैब में विभाजित किया गया है: 0%, 5%, 18% और 40%। हालाँकि, पेट्रोलियम उत्पादों, मादक पेय पदार्थों और बिजली पर जीएसटी के तहत कर नहीं लगाया जाता है और इसके बजाय पिछली कर प्रणाली के अनुसार, अलग-अलग राज्य सरकारों द्वारा अलग से कर लगाया जाता है। कच्चे कीमती और अर्ध-कीमती पत्थरों पर 0.25% और सोने पर 3% की विशेष दर है। इसके अलावा 28% जीएसटी के ऊपर 22% का उपकर या अन्य दरें कई वस्तुओं जैसे वातित पेय, लक्जरी कारों और तंबाकू उत्पादों पर लागू होती हैं।जीएसटी से पहले, अधिकांश वस्तुओं के लिए वैधानिक कर की दर लगभग 26.5% थी; जीएसटी के बाद, अधिकांश वस्तुओं के 18% कर के दायरे में रहने की उम्मीद है समय के अनुसार जीएसटी को बढ़ना चाहिए क्योंकि इन्फेलुएशन के कारण समय बढ़ने से पैसा का इंट्रेस्ट यानि व्याज बढ़ता है अतः जीएसटी को स्थिर रखा जा सकता है लेकिन कम करना सरकारी खजाना में कमी होगा और देश के विकास के लिए कर बहुत जरुरी है। ईएमएस/08/09/2025