राष्ट्रीय
08-Sep-2025
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नई दिल्ली (ईएमएस)। बादी वाली सब्जियाँ हमारे पाचन तंत्र में जाकर गैस बनाती हैं जिससे पेट में भारीपन, अफारा, गैस और दर्द जैसी समस्याएँ उत्पन्न होती हैं। खासकर वे लोग जिनका पाचन कमजोर होता है, या जिन्हें अम्लीय, अतिसारी, कोलाइटिस, ग्यास्ट्रीक, पेट की जटिली जैसी समस्याएँ रहती हैं, उन्हें वादी वाली सब्जियाँ खाने से परहेज करना चाहिए। वादी सब्जियों में मुख्य रूप से शामिल हैं: फूलगोभी, पत्ता गोभी, मूली, चना, राजमा, काबुली चना, मोठ, हरा मटर, अरबी, शलजम आदि। ये सब्जियाँ पचने में भारी होती हैं और शरीर में वायु (गैस) तत्व को बढ़ाती हैं। इसलिए जिन्हें पहले से पेट से जुड़ी ग्यास, अफारा, पेट दर्द, भीजन की शक्त शक्त कमजोरी खाने की शिकायत रहती है, उन्हें वादी सब्जियाँ कम या बिलकुल नहीं खानी चाहिए। आयुर्वेद में भी कहा गया है कि वादी प्रकृति वाले लोग या वात दोष से पीड़ित लोग इन सब्जियों को खाने से उनके वात दोष में वृद्धि हो सकती है, जिससे जोडों की दर्द, जट्टों में दर्द, नक्सी की दर्द, कमर दर्द, पेट दर्द आदि तकलीफें बढ़ सकती हैं। यदि आपको पाचन की समस्या रहती है तो वादी सब्जियों को खाने से पहले इन्हें अच्छे से पका लें, अदरक, हींग, अजवायन जैसे पाचक मसालों के साथ ही प्रयोग करें। इससे इनकी वादी प्रकृति कम होती है और पचने में थोड़ी मदद मिलती है। फिर भी पेट या पाचन से जुड़ी पुरानी बीमारी, कोलाइटिस, ग्यास्ट्रीक बीमारी, कीडनीज की शिकायत, काम जन्य बीमारी, कब्ज की संभव्य की दर्द होने पर डॉक्टर या आहार विशेषज्ञ की सलाह लेकर ही इन सब्जियों का सेवन करें। क्योंकि हर व्यक्ति का शरीर और पाचन तंत्र अलग होता है, इसलिए ब्लाइंडली किसी सलाह का पालन करने की बजाय अपनी स्थिति को समझकर, अपने शरीर की प्रतिक्रिया देखकर ही वादी सब्जियों का सेवन करना उचित होता है। सुदामा/ईएमएस 08 सितंबर 2025