नई दिल्ली (ईएमएस)। प्रधानमंत्री के ‘विकसित भारत’ के आह्वान के अनुसरण में, कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय और शिक्षा मंत्रालय के स्कूल एवं उच्च शिक्षा विभागों ने आज कौशल भवन, नई दिल्ली में एक संयुक्त उच्च-स्तरीय वार्ता आयोजित की। यह विचार-विमर्श स्वदेशी से समृद्ध और विकसित भारत-शिक्षा एवं कौशल उन्नयन में रणनीतियां विषय पर आधारित था। इसका उद्देश्य ‘आत्मनिर्भर भारत’ के लिए एक दूरदर्शी मार्ग-निर्देश तैयार करना था। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने इस सत्र की अध्यक्षता की। इस अवसर पर कौशल विकास एवं उद्यमिता राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) एवं शिक्षा राज्य मंत्री जयंत चौधरी और शिक्षा राज्य मंत्री डॉ. सुकांत मजूमदार भी उपस्थित थे। स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग, उच्च शिक्षा विभाग और कौशल एवं उद्यमिता विकास मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ-साथ स्वायत्त संस्थानों के प्रमुखों ने भी इस विचार-मंथन सत्र में भाग लिया। चर्चाओं में ‘मिशन स्वदेशी’ के दो स्तंभों के रूप में शिक्षा और कौशल की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला गया। इस बात पर जोर दिया गया कि ‘आत्मनिर्भर भारत’ के बीज स्कूल स्तर पर ही बोए जाने चाहिए, जहां छात्र आत्मनिर्भरता के दूत बनकर उभरें। शैक्षणिक और कौशल संस्थानों को स्वदेशी उत्पादों, स्थानीय उद्यमिता और सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देने में उत्प्रेरक के रूप में कार्य करना चाहिए। विचार-विमर्श में स्थानीय शक्तियों के प्रति जागरूकता, नवाचार और गौरव को बढ़ावा देने के लिए प्रदर्शनियों, वाद-विवादों, शैक्षणिक परियोजनाओं और सामुदायिक अभियानों के उपयोग के महत्व पर भी जोर दिया गया। इस बात पर जोर दिया गया कि समग्र और कौशल-आधारित शिक्षा, सांस्कृतिक जुड़ाव, नवाचार, समानता और छात्र कल्याण पर आधारित राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की रूपरेखा इस परिवर्तनकारी एजेंडे की नींव रखती है। धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि शिक्षा और कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालयों के साथ मिलकर, स्वदेशी को समृद्ध और विकसित भारत के मार्ग के रूप में स्थापित करने के लिए एक रणनीतिक मार्ग-निर्देश तैयार किया जा रहा है। ‘आत्मनिर्भर भारत’ की परिकल्पना स्कूलों और कॉलेजों में जड़ें जमाए, जहां छात्र इस मिशन के पथप्रदर्शक बनकर उभरेंगे और अपने परिवारों और समुदायों में स्वदेशी, नवाचार और सांस्कृतिक गौरव की भावना का प्रसार करेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि शिक्षा और कौशल एक-दूसरे की पूरक शक्तियां हैं, जिन्हें एक आत्मविश्वासी और आत्मनिर्भर भारत के निर्माण के लिए मिलकर काम करना होगा। संदीप/देवेंद्र/नई दिल्ली/ईएमएस/08/सितंबर/2025