प्रयागराज (ईएमएस)। मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी ने विधायकी बहाल किए जाने की मांग करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। अब्बास अंसारी ने राज्य सरकार, प्रिंसिपल सेक्रेटरी (विधान सभा सचिवालय) उत्तर प्रदेश, भारत निर्वाचन आयोग नई दिल्ली और जिला मजिस्ट्रेट/जिला रिटर्निंग अधिकारी जनपद मऊ को पक्षकार बनाया है। विधानसभा चुनाव-2022 में मऊ सीट से निर्वाचित हुए अब्बास अंसारी की सदस्यता एमपीएमएलए कोर्ट से दो साल से की सजा मिलने के बाद समाप्त हो गई थी। विधानसभा सचिवालय ने उनकी सीट को रिक्त घोषित कर दिया है। यहां उप चुनाव कराने के लिए चुनाव आयोग को रिपोर्ट भी भेज दी है। अब मामला विधानसभा सचिवालय के हाथ से ही निकल चुका है। ऐसे में हाईकोर्ट के आदेश के बाद ही अब्बास की विधायकी बहाल हो सकेगी। उत्तर प्रदेश की मऊ सदर सीट से वर्ष 2022 में विधायक चुने गए अब्बास अंसारी के खिलाफ हेट स्पीच मामले में एमपी-एमएलए कोर्ट मऊ के फैसले पर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने रोक लगा दी थी। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि महज भाषण से प्रथम दृष्टया यह साबित नहीं होता है कि सार्वजनिक सद्भाव या विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा दिया जा सकता है। साथ ही यह भी कहा कि सरकारी कर्मचारी को धमकी मामले में अधिकतम दो साल की सजा देने के लिए ट्रायल कोर्ट ने ठोस कारण दर्ज नहीं किए। कोर्ट ने इन तथ्यों के आधार पर माना कि दोषसिद्धि से अब्बास अंसारी को अपरिवर्तनीय नुकसान हुआ है। साथ ही मतदाताओं के अधिकार भी प्रभावित हुआ है जिन्होंने उसे अपने प्रतिनिधित्व के लिए चुना है। इन टिप्पणियों के साथ ही कोर्ट ने दोषसिद्धि और सजा अपील के निस्तारण तक निलंबित कर दिया। याद हो कि नफरती भाषण और चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन करने के मामले में अभियोजन के अनुसार एसआई गंगाराम बिंद की तहरीर पर शहर कोतवाली में एफआईआर दर्ज हुई। इसमें सदर विधायक अब्बास अंसारी और अन्य को आरोपी बनाया गया। आरोप था कि तीन मार्च 22 को विधानसभा चुनाव के दौरान सदर विधानसभा सीट से सुभासपा के प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ रहे अब्बास अंसारी ने नगर क्षेत्र के पहाड़पुर मैदान में जनसभा के दौरान कहा कि जनपद मऊ के प्रशासन को चुनाव के बाद रोक कर हिसाब-किताब करने व इसके बाद सबक सिखाने की धमकी मंच से दी गई थी। जितेन्द्र 08 सितम्बर 2025