राष्ट्रीय
14-Sep-2025


पर्यावरण कारणों की खोज भोपाल (ईएमएस)। भारत में पहली बार राष्ट्रीय पर्यावरण स्वास्थ्य अनुसंधान संस्थान द्वारा बच्चों के रक्त की जांच करने का अभियान शुरू किया गया है। प्रारंभिक चरण में मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में इसे पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू किया गया है। मध्य प्रदेश के सतना ग्वालियर उज्जैन सागर छिंदवाड़ा श्योपुर मंडला नीमच में यह अध्ययन शुरू हो गया है। 5 साल से कम उम्र के बच्चों का रक्त, परीक्षण के लिए एकत्रित किया जा रहा है। प्रारंभिक चरण में लिए गए रक्त के परिणाम में बच्चों के खून में प्रति डीएल 8 माइक्रोग्राम सीसा (लेड)पाया गया है। इतनी ज्यादा मात्रा में सीसा होने के कारण बच्चों के मस्तिष्क विकास को बाधित करता है। इसका अधिकतम स्तर 5 होना चाहिए। बच्चों के रक्त में यह कहीं-कहीं 8 से 10 माइक्रोग्राम तक मिल रहा है। जो चिंता का कारण है। डब्लूएचओ की देखरेख में 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों का रक्त परीक्षण शुरू किया गया है। भारत में हर साल 5 वर्ष से कम उम्र के 2.3 लाख बच्चों की मौत होती है। भारत में करीब 27 करोड़ बच्चे रक्त में सीसा ज्यादा होने के कारण मस्तिक संबंधी बीमारियों से प्रभावित होते हैं। पर्यावरण का असर जहां-जहां बच्चों के रक्त में शीशे की मात्रा अधिक पाई जा रही है। सर्वे के दौरान जांच दल वहां के पीने का पानी, मसाले, खाद्यान्न, दूध इत्यादि के सैंपल भी ले रहा है। बच्चों के खिलौने की जांच की जा रही है। ताकि कारणों का पता लगाया जा सके। यह सर्वे 12 राज्यों में शुरू किया जा रहा है। 12 राज्यों में 5 साल से कम उम्र के बच्चों के रक्त में सीसा की मात्रा अधिक है। एसजे/ 14‎ सितम्बर /2025