14-Sep-2025
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-केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने की पुष्टि नई दिल्ली,(ईएमएस)। केंद्र सरकार ने ईंधन में इथेनॉल मिश्रण को बढ़ावा देने की दिशा में बड़ा कदम उठाया था और देशभर में 20 फीसदी इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल यानी ई20 फ्यूल की आपूर्ति को सफलतापूर्वक लागू कर दिया। यह लक्ष्य 2030 से पहले ही प्राप्त कर लिया है, जो भारत की ऊर्जा स्वतंत्रता की दिशा में एक ऐतिहासिक उपलब्धि है, लेकिन इस सफलता के बाद सरकार ने डीजल में भी इथेनॉल मिलाकर वैकल्पिक ईंधन विकसित करने की कोशिश की, जो फिलहाल विफल रही। इस बात की पुष्टि केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने की है। उन्होंने बताया कि सरकार ने डीजल में 10 फीसदी इथेनॉल मिलाकर उसे कम प्रदूषणकारी और टिकाऊ बनाने का प्रयोग किया, लेकिन इसके परिणाम उत्साहजनक नहीं आए। उन्होंने कहा कि इस मिश्रण से इंजन की कार्यक्षमता और वाहन प्रदर्शन पर नकारात्मक असर देखा गया, जिसके कारण फिलहाल इस दिशा में काम रोक दिया गया है। गडकरी ने बताया कि अब सरकार डीजल के साथ आइसोब्यूटेनॉल मिलाकर नया ईंधन विकल्प तैयार करने की दिशा में परीक्षण कर रही है। आइसोब्यूटेनॉल, इथेनॉल का ही एक रूपांतरण है, जिसे जैविक स्रोतों से तैयार किया जाता है और जो डीजल के साथ अधिक अनुकूलता दिखा सकता है। यह प्रयोग अभी शुरुआती चरण में है और गडकरी ने साफ कहा है कि इसकी व्यवहारिकता पूरी तरह प्रयोगों के परिणाम पर निर्भर करेगी। उन्होंने इस संबंध में कोई समयसीमा तय नहीं की है। जानकारी के मुताबिक जहां एक ओर डीजल के विकल्प की खोज जारी है, वहीं पेट्रोल में इथेनॉल ब्लेंडिंग के क्षेत्र में भारत ने बड़ी उपलब्धि हासिल कर ली है। अप्रैल 2023 में ई20 पेट्रोल को कुछ चुनिंदा पेट्रोल पंपों पर लॉन्च किया गया था, जिसके बाद इसे चरणबद्ध तरीके से देशभर में लागू किया गया है। अब अप्रैल 2025 तक ई20 पूरी तरह से पुराने ई10 पेट्रोल की जगह ले चुका है। यह मिश्रण गन्ना, मक्का और चावल जैसे कृषि उत्पादों से तैयार किए गए इथेनॉल से बनाया गया है, जो न केवल देश की जैविक ईंधन उत्पादन क्षमता को दर्शाता है बल्कि किसानों को भी आय के नए स्रोत प्रदान करता है। बता दें हाल ही में सोशल मीडिया पर ई20 फ्यूल को लेकर आलोचनाएं सामने आई हैं, जिसमें कहा गया है कि ज्यादा इथेनॉल वाले फ्यूल से पुराने वाहनों की माइलेज पर असर पड़ रहा है और इंजन को नुकसान पहुंच रहा है। इस पर गडकरी ने कहा कि यह एक पेड कैंपेन है, जिसे कुछ खास स्वार्थों के लिए चलाया जा रहा है और इसका कोई तथ्यात्मक आधार नहीं है। उन्होंने साफ कहा कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिकाएं पहले ही खारिज हो चुकी हैं, जिससे स्पष्ट होता है कि सरकार की नीति कानूनी रूप से मजबूत है। बता दें इथेनॉल मिश्रण न केवल प्रदूषण को कम करने का माध्यम है, बल्कि यह कच्चे तेल के आयात पर निर्भरता घटाने और देश की ऊर्जा आत्मनिर्भरता बढ़ाने का जरिया भी है। गडकरी का यह बयान ऐसे समय पर आया है जब भारत में वैकल्पिक ईंधनों को लेकर बहस छिड़ी हुई है और सरकार, ऑटोमोबाइल कंपनियों तथा उपभोक्ताओं के बीच संवाद को लेकर जागरूकता जरूरी है। सिराज/ईएमएस 14सितंबर25