नई दिल्ली,(ईएमएस)। स्वदेशी लड़ाकू विमान तेजस की डिलिवरी को लेकर हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (हेल) नई चुनौती से जूझ रहा है। हेल ने भारतीय वायुसेना से इस वित्त वर्ष में 12 तेजस जेट्स की आपूर्ति का वादा किया था, लेकिन अमेरिकी कंपनी जनरल इलेक्ट्रिक (जीई) की ओर से इंजन सप्लाई में देरी ने पूरी योजना को प्रभावित कर दिया है। अब संभावना है कि वायुसेना को तय समय पर 10 तेजस ही मिल पाएंगे। हेल के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक डॉ. डीके सुनील ने एक इंटरव्यू के दौरान कहा कि कंपनी ने तेजस के एयरफ्रेम, एवियॉनिक्स और मिसाइल इंटीग्रेशन का काम पूरा कर लिया है। लेकिन जीई-404 इंजन समय पर न मिलने से उत्पादन में रुकावट आ गई है। उन्होंने कहा, कि हमारे सभी एयरक्राफ्ट तैयार हैं, लेकिन इंजन की कमी सबसे बड़ी बाधा है। जीई ने प्रक्रिया तेजी से पूरी करने का आश्वासन दिया था, फिर भी देरी हो रही है। डिलिवरी पर असर डॉ. सुनील ने बताया कि अब तक तीन इंजन ही पहुंचे हैं, जबकि और कई विमानों को उड़ान योग्य बनाने के लिए इंजन की जरूरत है। उन्होंने कहा, खराब से खराब स्थिति में भी हम इस वित्त वर्ष में 10 विमान सौंपने की स्थिति में होंगे। हेल ने तेजस विमानों का पूरा ढांचा तैयार कर दिया है। एवियॉनिक्स टेस्टिंग, मिसाइल फिटमेंट और अन्य तकनीकी प्रक्रियाएं पूरी हो चुकी हैं। केवल इंजन न मिलने से विमान डिलिवरी अटकी हुई है। वायुसेना की योजना पर असर भारतीय वायुसेना तेजस को अपने बेड़े में जल्द से जल्द शामिल करना चाहती है। हल्के लड़ाकू विमान के रूप में यह मिग-21 जैसे पुराने विमानों की जगह लेने वाला है। हेल के सामने अब चुनौती है कि इंजन आपूर्ति पर निर्भर रहते हुए भी समय पर वायुसेना को विमानों की डिलिवरी पूरी कर सके। हिदायत/ईएमएस 17सितंबर25