नई दिल्ली (ईएमएस)। एचएसबीसी ग्लोबल इन्वेस्टमेंट रिसर्च की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, वित्त वर्ष 2026-27 में आईटी सेक्टर 6-7 प्रतिशत की दर से बढ़ सकता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के बढ़ते इस्तेमाल से पारंपरिक आईटी कॉन्ट्रैक्ट्स पर दबाव बना है, लेकिन कंपनियों की टेक्नोलॉजी पर बढ़ती खर्च की प्रवृत्ति इस चुनौती को संतुलित कर रही है। रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि अगले वित्त वर्ष में आईटी सेक्टर की आय 5-6 प्रतिशत तक बढ़ेगी। हालांकि, प्रोजेक्ट वॉल्यूम यानी काम की मात्रा में यह बढ़ोतरी 8-10 प्रतिशत तक हो सकती है। इसकी बड़ी वजह यह है कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था मजबूत बनी हुई है और कई शीर्ष अमेरिकी कंपनियों ने वर्षों में अपने सबसे अच्छे तिमाही नतीजे दर्ज किए हैं। एचएसबीसी के विश्लेषकों का कहना है कि यह रुझान कंपनियों के भरोसे को बढ़ाएगा और 2025 तक तकनीकी खर्च में तेजी ला सकता है, जिससे एआई ऑटोमेशन के नकारात्मक असर को कम किया जा सकेगा। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि जैसे-जैसे एआई एजेंट्स “मल्टी-एजेंट सिस्टम” में बदलेंगे और कंपनियों को अपना सॉफ्टवेयर आर्किटेक्चर व इंफ्रास्ट्रक्चर दोबारा डिजाइन करना पड़ेगा, भारतीय आईटी कंपनियों के लिए नए अवसर पैदा होंगे। हालांकि, उद्योग के अनुमान बताते हैं कि एआई अगले तीन से चार साल में आईटी सेवाओं के कॉन्ट्रैक्ट्स की कीमतों को 8-10 प्रतिशत तक कम कर सकता है। यह सालाना 3-4 प्रतिशत का असर 2025 से 2027 के बीच देखने को मिलेगा। अभी तक भारतीय आईटी कंपनियां इस दबाव की भरपाई अधिक प्रोजेक्ट वॉल्यूम से करती रही हैं, जिससे उनकी कुल आय स्थिर बनी हुई है। सुबोध/१७-०९-२०२५