मुंबई, (ईएमएस)। पिछले साल मुंबई से सटे बदलापुर के एक नामचीन स्कूल में दो नाबालिग बच्चियों के साथ यौन उत्पीड़न हुआ था। मामले को गंभीरता से लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने एक जनहित याचिका दायर की और राज्य के स्कूल एवं खेल विभाग ने एक सरकारी आदेश जारी कर सभी स्कूलों को कड़े सुरक्षा उपाय करने का निर्देश दिया। हालाँकि, राज्य सरकार इन्हें सख्ती से लागू करने में विफल रही है, इस बीच कल बॉम्बे हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को फटकार लगाते हुए सवाल पूछा कि क्या आप बदलापुर जैसी किसी और घटना का इंतज़ार कर रहे हैं? कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा के लिए तैयार किए गए दिशानिर्देशों को लागू करने में विफल रही है और उन्हें केवल सतही तौर पर लागू किया है। कोर्ट ने कहा कि पिछले साल बदलापुर के एक स्कूल में दो नाबालिग लड़कियों के साथ यौन उत्पीड़न के बाद दिशानिर्देशों की आवश्यकता थी। आप बदलापुर जैसी एक और घटना होने के बाद ही जागेंगे। कोर्ट ने यह भी टिप्पणी की कि आपके अपने सरकारी स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा के लिए आवश्यक कदम नहीं उठाए गए हैं। न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे और न्यायमूर्ति संदेश पाटिल की पीठ ने सरकार की प्रगति पर असंतोष व्यक्त किया। न्यायालय मित्र रेबेका गोंसाल्वेस की रिपोर्ट के अनुसार, स्कूलों ने शिकायत पेटियाँ लगाई हैं और सुरक्षा समितियाँ गठित की हैं। लेकिन, न्यायालय ने बताया कि महत्वपूर्ण उपायों की उपेक्षा की गई है। जैसे- - महाराष्ट्र में लगभग 45,315 सरकारी स्कूलों और 11,139 निजी स्कूलों में अभी भी सीसीटीवी कैमरे नहीं हैं। - 25,000 से ज़्यादा सरकारी स्कूलों और 15,000 निजी स्कूलों में कर्मचारियों की पृष्ठभूमि अज्ञात है। - लगभग 68,000 स्कूल बसों में जीपीएस नहीं है और ड्राइवरों का सत्यापन नहीं हुआ है। महिला कर्मचारियों की भी कमी है। - परामर्श, साइबर सुरक्षा जागरूकता, आपदा प्रबंधन और आवासीय विद्यालयों की सुरक्षा जैसे महत्वपूर्ण पहलुओं की समीक्षा नहीं की गई है। संजय/संतोष झा- २० सितंबर/२०२५/ईएमएस