भोपाल(ईएमएस)। किसान नेता, (पूर्व सदस्य कृषि सलाहकार परिषद मध्य प्रदेश सरकार) केदार सिरोही ने प्रेस को जारी विज्ञप्ती में कहा कि मध्य प्रदेश देश का प्रमुख सोयाबीन और मक्का उत्पादक राज्य है। वर्तमान में इन दोनों फसलों का बाजार भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से काफी नीचे चल रहा है, जिससे लाखों किसान आर्थिक संकट में हैं। इस बर्ष किसानो को दोहरी मार एक अतिबर्षा और बीमारियों के कारण प्रदेश में फसल उत्पादन न्यूनतम स्तर पर होगा और दूसरी तरफ किसानो के फसलो के दम न्यूनतम स्तर पर होने से किसानो की लागत निकलना मुश्किल है। इसमें सरकार को किसानो के प्रति न्यूनतम जिम्मेदारी तो लेना चाहिए ? आज हरदा में केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मीडिया के समक्ष कहा कि “यदि राज्य सरकार खरीदी का प्रस्ताव भेजेगी तो केंद्र सरकार अनुमति देगी।” यह बयान स्पष्ट करता है कि केंद्र और राज्य सरकारें एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डाल रही हैं, जबकि किसानों की हालत दिन-ब-दिन बिगड़ रही है। किसान नेता सिरोही का आरोप है कि डबल इंजन सरकार में दोनों इंजन अलग-अलग दिशा में चल रहे हैं जिससे किसान हित में समन्वय के बजाय सिर्फ बयानबाज़ी हो रही है।जबकि मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री दोनों मध्य प्रदेश से हैं, फिर भी एमएसपी खरीदी पर कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया। उल्टा किसानों को राहत देने के बजाय उन्हें राजनीतिक फुटबॉल बना दिया गया है। श्री सिरोही ने माँग की हैं कि केंद्र और राज्य सरकार तत्काल आपसी सहमति से सोयाबीन और मक्का की एमएसपी पर खरीदी की घोषणा करें। और किसानों को गुटबाजी और टालमटोल की राजनीति से बाहर रखा जाए। किसान नेता सिरोही ने चेतावनी दी है,कि यदि एमएसपी पर खरीदी की प्रक्रिया तुरंत शुरू नहीं होती, तो प्रदेश के सोयाबीन और मक्का उत्पादक गाँवों में व्यापक जनआंदोलन खड़ा किया जाएगा। यह आंदोलन सरकारों की जवाबदेही तय करेगा और किसानों के अधिकारों की रक्षा करेगा। किसानों को नुकसान नहीं होने दिया जाएगा यह हमारा संकल्प है। हरि प्रसाद पाल / 20 सितम्बर, 2025