सिरप पीने से 6 बच्चों की मौत, स्वास्थ्य विभाग ने लगाई रोक भोपाल (ईएमएस)। मध्य प्रदेश में सर्दी खांसी की दवा से बच्चों की मौत की आशंका जताई जा रही है। प्रदेश में अब तक 6 बच्चों की मौत हुई है। कई बच्चों का अस्पताल में इलाज चल रहा है। दोनों राज्यों में शुरुआती जांच में खांसी की दवा को कारण माना जा रहा है, हालांकि अभी इसकी पुष्टि नहीं हुई है। कई रिपोर्ट आना बाकी है। राजस्थान में सरकारी अस्पतालों में दवा वितरित की गई थी। छिंदवाड़ा कलेक्टर शीलेंद्र सिंह ने बताया कि परासिया समेत विभिन्न इलाकों में बच्चों को सर्दी खांसी हो रही थी। अगस्त और सितंबर महीने में ऐसे मामलों में इजाफा हुआ। इलाज के लिए बच्चों को अस्पताल ले जाया गया। वहां पर बच्चों का इलाज शुरू हुआ। अगस्त के आखिरी हफ्ते में कुछ बच्चों की तबीयत ज्यादा खराब हो गई। ऐसा तब हुआ जब बच्चों को खांसी, बुखार और सर्दी रोकने के लिए दवा दी गई। सीएमएचओ डॉ. नरेश गुन्नाडे के मुताबिक 24-25 अगस्त को ऐसे मामलों की संख्या बढ़ गई। सिंतबर के पहले हफ्ते में बच्चों की तबीयत ज्यादा खराब होने लगी और एक बच्चे की मौत हो गई। प्रशासन के अनुसार बच्चों का बुखार कम नहीं हो रहा था और पेशाब करने में उनको परेशानी हो रही थी। प्रशासन ने अलग-अलग इलाकों से पानी के सैंपल लिए और जांच के लिए पुणे भेजे। जब बच्चों की मौत का आंकड़ा बढऩे लगा तो दिल्ली और भोपाल से टीमें छिंदवाड़ा पहुंची। अलग-अलग इलाकों से पानी के सैंपल लिए गए। पर किसी बैक्टीरिया या वायरस की पुष्टि नहीं हुई। इसके बाद कुछ बच्चों को नागपुर में भर्ती कराया गया। वहां पर चार बच्चों की मौत हो गई। इसके बाद इन बच्चों की किडनी की बॉयोप्सी करवाई गई। इसमें खुलासा हुआ कि सिरप में डायएथिलीन ग्लायकॉल खराब है। सीएमएचओ ने बताया कि सभी टीमों की मीटिंग के बाद ये पाया गया कि कुछ दवाएं भी बच्चों पर गलत असर डाल सकती हैं, इस वजह से अभी कोल्ड्रिफ कफ सिरप की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। साथ ही सलाह दी गई है। इसका इस्तेमाल सावधानी पूर्वक किया जाए। जांच रिपोर्ट आने के बाद इस सिरप के असर के बारे में कुछ पुख्ता तौर पर कहा जा सकता है।उन्होंने बताया कि परासिया में अलग से वार्ड बनाया गया है। अब तक छह बच्चों की मौत हो चुकी है। इनमें कारण किडनी फेल होना है। केन्द्र और राज्य से स्वास्थ्य विभागों की टीमें आईं हुई हैं जो जांच कर रही हैं। अभी उनकी रिपोर्ट आना बाकी है। सीएमएचओ ने बताया कि यहां पर कोई महामारी नहीं है। बच्चों के ब्लड सैंपल लिए गए हैं, जिनको पुणे के वायरोलॉजी इंस्टीट्यूट भेजा गया है। गांवों से पानी के सैंपल भी लिए गए हैं। अभी तक करीब 3 हजार ब्लड सैंपल लिए जा चुके हैं।