ज़रा हटके
12-Oct-2025
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रियाद (ईएमएस)। वैज्ञानिकों की माने तो लाल सागर का पूरा इलाका लगभग 1 लाख साल तक सूखा रहा। उस समय यह जगह पानी से खाली, नमक और रेत से भरा एक वीरान रेगिस्तान बन चुकी थी। आज का लाल सागर अरब और अफ्रीका के बीच फैला एक जीवंत और समृद्ध समुद्री क्षेत्र है, जो व्यापार, मरीन लाइफ और नेचर के लिए बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। सऊदी अरब की किंग अब्दुल्ला यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी (केएयएसटी) के शोधकर्ताओं के मुताबिक, लगभग 6.3 मिलियन साल पहले टेक्टॉनिक शिफ्ट यानी धरती की प्लेटों के खिसकने के कारण रेड सी का कनेक्शन मेडिटरेनियन सी से कट गया। जब यह सागर महासागरों से अलग हो गया, तो धीरे-धीरे इसका पानी वाष्पित होकर खत्म हो गया और यह जगह एक विशाल नमकीन रेगिस्तान में बदल गई। इस असाधारण घटना को धरती के इतिहास का सबसे बड़ा नेचुरल रिस्टार्ट माना जाता है। रिसर्च की लीड ऑथर तिहाना पेंसा के अनुसार, इस बाढ़ ने रेड सी को स्थायी रूप से इंडियन ओशन से जोड़ दिया। अचानक आए पानी ने समुद्री धारा बहाल की, कोरल रीफ्स लौट आए और मरीन लाइफ फिर से फलने-फूलने लगी। वैज्ञानिकों का मानना है कि रेड सी की असली शुरुआत लगभग 30 मिलियन साल पहले हुई थी, जब अफ्रीकन और अरबियन प्लेट अलग होने लगीं। प्रारंभ में यहां झीलों की एक श्रृंखला बनी, जो धीरे-धीरे एक समुद्र में बदल गई। उस समय समुद्री जीवन बहुत समृद्ध था, लेकिन बाद में सागर सूख गया और इसके अस्तित्व पर संकट आया। आज का रेड सी फिर से एक जीवंत और सक्रिय समुद्री इकोसिस्टम है। यह इंडियन ओशन से लगातार पानी के आदान-प्रदान के जरिए अपने आप को संतुलित रखता है। इसके कोरल रीफ्स दुनिया में सबसे अनोखे माने जाते हैं। काउस्ट के वैज्ञानिक अब्दुलकादर अल अफीफी कहते हैं, “रेड सी धरती की प्राकृतिक प्रयोगशाला है, जहां हम समझ सकते हैं कि महासागर कैसे बनते, टूटते और फिर दोबारा जन्म लेते हैं। यह बताता है कि कैसे जलवायु, टेक्टॉनिक मूवमेंट और मरीन एनवायरनमेंट मिलकर धरती का भविष्य तय करते हैं।” सुदामा/ईएमएस 12 अक्टूबर 2025