रादुविवि कर्मचारी संघ में बगावत जबलपुर, (ईएमएस)। रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय (रादुविवि) के शैक्षणोत्तर कर्मचारी संघ में इन दिनों गहरा असंतोष और अंदरूनी खींचतान उभरकर सामने आ गई है। संघ के एक बड़े वर्ग ने मौजूदा अध्यक्ष वीरेन्द्र सिंह पटेल के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की औपचारिक पहल कर दी है। बताया जा रहा है कि कुल 216 कर्मचारियों ने हस्ताक्षरित एक पत्र 13 अक्टूबर 2025 को विश्वविद्यालय के कुलगुरु एवं संघ संरक्षक प्रो. राजेश वर्मा को सौंपा है। इस घटनाक्रम के बाद कुलगुरु प्रो. राजेश वर्मा अब संघ राजनीति के किंग मेकर के रूप में देखे जा रहे हैं। माना जा रहा है कि उनकी भूमिका यह तय करेगी कि संघ में वर्तमान नेतृत्व बना रहेगा या बदलाव की शुरुआत होगी। सूत्रों के अनुसार, संघ अध्यक्ष वीरेंद्र पटेल ने भी अपने समर्थन में कर्मचारियों से हस्ताक्षर अभियान चलाया है, जिससे यह स्पष्ट है कि वे आसानी से पद छोड़ने के मूड में नहीं हैं। अब सभी की निगाहें कुलगुरु कार्यालय पर टिकी हैं क्या कुलगुरु 21 अक्टूबर से पहले आमसभा बुलाने के निर्देश देंगे या पहले शिकायतों की जांच कराएंगे? जो भी हो, यह साफ है कि रादुविवि कर्मचारी संघ की यह लड़ाई केवल नेतृत्व परिवर्तन की नहीं, बल्कि विश्वविद्यालय की संघ राजनीति का नया अध्याय साबित हो सकती है। हड़ताल शुरु और बंद करने से उठा विवाद… गौरतलब है की यह विवाद सितंबर माह में शुरू हुआ, जब शैक्षणोत्तर कर्मचारी संघ ने 20 सूत्रीय मांगों को लेकर कार्य बहिष्कार और हड़ताल की थी। हड़ताल जारी थी तभी 24 सितंबर को संघ अध्यक्ष वीरेंद्र पटेल का एक पत्र सामने आया जिसमें उन्होंने हड़ताल को स्थगित करने की घोषणा कर दी। इस फैसले से अन्य पदाधिकारी और कर्मचारी भड़क उठे। उनका कहना था कि अध्यक्ष ने यह निर्णय एकतरफा लिया और वीसी कार्यालय की दबाव राजनीति के तहत समझौता किया। तकनीकी कारणों से हड़ताल समाप्त करनी पड़ी, लेकिन कर्मचारियों ने उसी समय तय कर लिया था कि अब अध्यक्ष को पद से हटाया जाएगा। 21 के पहले आमसभा की मांग….. संघ के उपाध्यक्ष प्रेमप्रकाश पुरोहित, सह-उपाध्यक्ष वीरेन्द्र कुमार तिवारी और महासचिव राजेन्द्र प्रसाद शुक्ल ने संयुक्त बयान में बताया कि अध्यक्ष के कार्यों को लेकर संघ के सदस्यों में असंतोष व्याप्त है। इसी के चलते संघ संविधान की धारा 19 के तहत अविश्वास प्रस्ताव लाने का निर्णय लिया गया है। पत्र में यह उल्लेख किया गया है कि सूचना मिलने के सात दिनों के भीतर यानी 21 अक्टूबर 2025 तक संघ की आमसभा आयोजित की जाएगी। इस बैठक में अध्यक्ष के विरुद्ध गुप्त मतदान के माध्यम से निर्णय लिया जाएगा। कुलगुरु से निष्पक्ष प्रक्रिया की मांग कर्मचारियों ने कुलगुरु से अपील की है कि प्रक्रिया पारदर्शी और निष्पक्ष बनी रहे, इसके लिए एक निर्वाचन अधिकारी की नियुक्ति की जाए जो पूरी प्रक्रिया की निगरानी करे। चूंकि कुलगुरु कर्मचारी संघ के संरक्षक हैं, इसलिए उनके अनुमोदन के बिना आगे की कोई कार्रवाई संभव नहीं है। कैंपस में गरमा रही संघ राजनीति रादुविवि परिसर में यह मामला अब चर्चा का सबसे बड़ा विषय बन चुका है। कर्मचारी दो खेमों में बंट गए हैं—एक पक्ष वर्तमान अध्यक्ष के समर्थन में है, जबकि दूसरा गुट उन्हें हटाने के लिए संगठित हो चुका है। कई कर्मचारी इस घटनाक्रम को आगामी संघ चुनावों की रणनीति से भी जोड़कर देख रहे हैं। सुनील साहू / शहबाज / 19 अक्टूबर 2025/ 06.09