-वायुसेना ने छवीं जेनरेशन फाइटर जेट्स पर ब्रेनस्टॉर्मिंग सेशंस की शुरुआत की नई दिल्ली,(ईएमएस)। अमेरिका, रूस, चीन जैसे देश पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों को तेजी से विकसित कर रहे हैं। इसे देखते हुए भारत भी पीछे नहीं रहना चाहता उसने भी एएमसीए प्रोग्राम के जरिये पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों की राह पर कदम बढ़ा दिए हैं। इंडियन एयरफोर्स को पांचवी पीढ़ी का लड़ाकू विमान मिलने में अभी 8 से 10 साल लग सकते हैं। ऐसे में वायुसेना के अधिकारियों ने छवीं जेनरेशन फाइटर जेट्स पर ब्रेनस्टॉर्मिंग सेशंस की शुरुआत की है। डीप स्कार्ट टेक्नोलॉजी, मैनड-अनमैन टीमिंग, लेजर हथियार व स्मार्ट स्टील्थ स्किन्स जैसी उड़ान भरने योग्य जरुरतों को ध्यान में रखते हुए वायुसेना अपनी रणनीति तैयार करने में जुटी है। जानकारी के मुताबिक वायुसेना को चिंता इस बात की है कि पांचवीं पीढ़ी के विमानों की तरफ वैसे भी 25 साल की देरी से कदम उठाए गए हैं, ऐसे में कहीं अब छठी पीढ़ी विमान की दिशा में यह चूक भारी न पड़ जाए। छठी पीढ़ी के फाइटर जेट बनाने की दिशा में अमेरिका, चीन और तुर्की व यूरोप पहले से ही कदम बढ़ा चुके हैं। अमेरिका का प्रोग्राम, चीन का एफसी-31 डेरीवेटिव, और रूस का पीएके डीपी प्रोजेक्ट पहले से ही उन्नत चरण में हैं। इन देशों ने पांचवीं जेनरेशन जेट्स को सफलतापूर्वक बनाने के बनाने के बाद अब छठी जेनरेशन पर फोकस कर रहे हैं। वहीं भारतीय वायुसेना का मानना है कि 5वीं जनरेशन के विमानों के विकास में भारत पहले ही पिछड़ गया है। ऐसे में छठी पीढ़ी के विमानों के मामले में अब वही भूल दोबारा नहीं करना चाहता। रक्षा मामले से जुड़ी वेबसाइट के मुताबिक एयर मार्शल अवधेश कुमार भारती ने हाल ही में एक रक्षा सम्मेलन में कहा था कि जब 5वीं पीढ़ी के प्लेटफॉर्म्स 25 साल पहले शुरू हुए थे, तो हम अब फिर 25 साल इंतज़ार नहीं कर सकते। इस बार आईएएफ ने लंबी अवधि की रूपरेखा बनाई है। पहले भारत का स्वदेशी 5वीं पीढ़ी का स्टील्थ लड़ाकू विमान एएमसीए का प्रोटोटाइप उड़ान भरेगा, जिसका परीक्षण 2028 तक तय है और फिर उसके बाद उसी तकनीक पर आधारित छठी पीढ़ी के फाइटर जेट के लिए शोध और विकास का चरण शुरू किया जाएगा। इसमें ऐसे विमान बनाए जाएंगे जो बिना पायलट के ही उड़ान भर सकें। इसके अलावा इसमें ‘स्मार्ट स्किन’ लगा होगा, जो इसकी स्टील्थ शक्ति देगा यानी रडार से ओझल हो जाने की ताकत…फिर इसमें लेजर बेस्ड एयर डिफेंस सिस्टम लगे होंगे, जो छोटे ड्रोन से लेकर बड़े मिसाइलों को भी मार गिराने में सक्षम होंगे। स्वदेशी इंजन व क्लीन एनर्जी से चलने वाले ये फाइटर जेट्स बेहद हाईटेक एयर डिफेंस सिस्टम से भी लैस होंगे। विश्लेषकों के मुताबिक इस फैसले से भारत ने यह संकेत दिया है कि वह अब फाइटर जेट के मामले में दूसरे देशों पर निर्भर नहीं रहेगा, बल्कि स्वदेशी अनुसंधान-उन्नति के सहारे आगे बढ़ेगा। हम पिछली चूक नहीं दोहराएंगे...यही आईएएफ की नई लकीर है। यह रणनीतिक बदलाव सिर्फ रक्षा-उद्योग तक सीमित नहीं है; यह राष्ट्र की संप्रभुता, प्रौद्योगिकी स्वावलंबन और क्षेत्रीय संतुलन के लिए भी अहम है। अगर भारत छठी पीढ़ी के जेट सफलतापूर्वक विकसित करता है, तो यह न सिर्फ दक्षिण एशिया बल्कि आसपास के देशों के मुकाबले भी अहम होगा। वैसे 6वीं जेन फाइटर जेट की राह में भी बड़ी चुनौतियां हैं। इस मिशन के लिए फंडिंग, डेडलाइन और टेक्नॉलजी डील की जटिलताएं राह में बड़ा रोड़ा बन सकती है, लेकिन वायुसेना का दावा है कि घूमने-फिरने के बजाय अब सीधा भविष्य की ओर दौड़ना है। सिराज/ईएमएस 24 अक्टूबर 2025