राष्ट्रीय
24-Oct-2025
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- पीएलआई योजना में रीसाइक्लिंग को शामिल करने की सिफारिश नई दिल्ली,(ईएमएस)। इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने भारी उद्योग मंत्रालय को सुझाव दिया है कि रेयर अर्थ परमानेंट मैग्नेट के लिए प्रस्तावित प्रोडक्शन-लिंक्ड इंसेंटिव योजना में पुराने मैग्नेट्स की रीसाइक्लिंग को भी शामिल किया जाए। मंत्रालय का कहना है कि जैसे-जैसे देश 2070 तक कार्बन न्यूट्रल बनने के लक्ष्य की ओर बढ़ रहा है और इलेक्ट्रिक वाहनों का इस्तेमाल तेजी से बढ़ रहा है, वैसे-वैसे ई-वेस्ट की मात्रा भी कई गुना बढ़ेगी। इसमें इस्तेमाल हो चुके आरईपीएम भी शामिल होंगे। ऐसे में रीसाइक्लिंग को प्रोत्साहन देना न केवल पर्यावरण के लिए फायदेमंद होगा, बल्कि देश को रेयर अर्थ मैग्नेट्स की स्थायी सप्लाई सुनिश्चित करने में भी मदद करेगा और चीन जैसे देशों पर निर्भरता घटेगी। सरकारी अधिकारियों के मुताबिक भारत में मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग कंपनियां पहले से ही रीसाइक्ल किए गए मैग्नेट्स का इस्तेमाल कर रही हैं। जब चीन ने आरईपीएम की सप्लाई पर प्रतिबंध लगाया, तो ईयरफोन, हेडफोन और स्मार्टवॉच जैसी कंपनियों को अस्थायी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। इसके बावजूद भारतीय कंपनियों ने तेजी से वैकल्पिक सप्लाई चैन तैयार की, जिससे उत्पादन पर असर सीमित रहा और स्थिति जल्द सामान्य हो गई। रिपोर्ट के मुताबिक भारत ने 2022 में करीब 4.17 मिलियन टन ई-वेस्ट उत्पन्न किया था, जिससे वह अमेरिका और चीन के बाद दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ई-वेस्ट उत्पादक देश है। विशेषज्ञों का मानना है कि बढ़ते डिजिटलाइजेशन और उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स के प्रसार से यह आंकड़ा आने वाले सालों में और तेजी से बढ़ेगा। भारी उद्योग मंत्रालय की प्रस्तावित पीएलआई योजना के तहत देश में पांच मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स स्थापित की जाएंगी, जिनकी कुल वार्षिक उत्पादन क्षमता 6,000 टन होगी। इसके तहत कंपनियों को पूंजी सब्सिडी और बिक्री आधारित प्रोत्साहन दिए जाएंगे। इस योजना में रीसाइक्लिंग को भी जोड़ा जाए, ताकि ई-वेस्ट प्रबंधन संगठित और टिकाऊ तरीके से किया जा सके। हालांकि एमएचआई का तर्क है कि रीसाइक्लिंग का विषय खनन मंत्रालय के अधिकार क्षेत्र में आता है, इसलिए इसे इस योजना में शामिल करना संभव नहीं है। उधर, चीन द्वारा अप्रैल 2025 से भारत को आईईपीएम निर्यात पर रोक लगाने के बाद देश के ऑटो और इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग पर दबाव बढ़ गया है। दुनिया के करीब 90 फीसदी रेयर अर्थ मैग्नेट चीन में बनते हैं, जिससे भारत की सप्लाई चेन प्रभावित हुई है। इंडिया सेल्युलर एंड इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन ने चेतावनी दी है कि यदि मैग्नेट की सप्लाई में देरी हुई, तो इसका असर इलेक्ट्रिक वाहनों, सेमीकंडक्टर और रक्षा इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे रणनीतिक क्षेत्रों पर गंभीर पड़ सकता है। मंत्रालयों के बीच समन्वय से यह कदम भारत को आत्मनिर्भर मैग्नेट उत्पादन की दिशा में आगे बढ़ा सकता है। सिराज/ईएमएस 24 अक्टूबर 2025