अंतर्राष्ट्रीय
26-Oct-2025
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वाशिंगटन (ईएमएस)। महिलाएं पुरुषों की तुलना में दो से आठ गुना ज्यादा घुटने की चोटों की शिकार होती हैं। इनमें सबसे आम एसीएल (अंटेरियर क्रूसियेट लिगामेंट) इंजरी, ओस्टियोआर्थराइटिस और पैटेलोफेमोरल पेन सिंड्रोम शामिल हैं। एक ताजा रिसर्च के अनुसार, हर 10 में से एक महिला कॉलेज एथलीट को हर साल घुटने में गंभीर चोट लग जाती है, जो पुरुषों की तुलना में पांच से छह गुना अधिक है। आम खेल खेलने वाली महिलाओं में भी यह खतरा पुरुषों की तुलना में लगभग पांच गुना अधिक पाया गया है। एसीएल घुटने की चार मुख्य लिगामेंट्स में से एक है, जो जांघ और पिंडली की हड्डियों को जोड़ता है और अचानक रुकने या दिशा बदलने जैसी गतिविधियों को नियंत्रित करता है। फुटबॉल, बास्केटबॉल, टेनिस और सॉकर जैसी खेल गतिविधियों में एसीएल चोट के लिए संवेदनशील होती है। चोट लगने पर तेज दर्द, “पॉप” की आवाज़, सूजन और घुटने में कमजोरी जैसी समस्याएं देखने को मिलती हैं। महिलाओं में घुटनों की चोट का खतरा शरीर की बनावट, बायोमैकेनिक्स और मांसपेशियों के असंतुलन की वजह से अधिक होता है। महिलाओं के कूल्हे आमतौर पर बड़े होते हैं और उनके घुटने अंदर की ओर झुकते हैं, जिससे एसीएल पर अधिक दबाव पड़ता है। इसके अलावा, महिलाएं अक्सर सीधे पैर रखकर लैंडिंग करती हैं, जिससे घुटनों पर अतिरिक्त तनाव आता है। क्वाड्रिसेप्स (जांघ की आगे की मांसपेशियां) अक्सर हैमस्ट्रिंग्स (पीछे की मांसपेशियां) से मजबूत होती हैं, जो चोट का जोखिम बढ़ाती हैं। स्वस्थ वजन बनाए रखना और संतुलित भोजन के साथ फिटनेस रूटीन अपनाना भी मदद करता है। हल्की चोटों में फिजियोथेरेपी और स्ट्रेंथ ट्रेनिंग प्रभावी होती है, जबकि दर्द कम करने के लिए एनसैडस, कॉर्टिस्टेरॉइड या हायल्यूरोनिक एसिड इंजेक्शन दिए जा सकते हैं। गंभीर मामलों में सर्जरी जैसे आर्थ्रोस्कोपी, लिगामेंट रिपेयर या टोटल नी रिप्लेसमेंट की आवश्यकता पड़ सकती है। घुटने की समस्या से बचाव के लिए महिलाएं स्ट्रेंथ ट्रेनिंग और न्यूरोमस्कुलर ट्रेनिंग कर सकती हैं। कम इम्पैक्ट वाली एक्सरसाइज जैसे वॉकिंग, योग या साइक्लिंग लाभकारी हैं। सुदामा/ईएमएस 26 अक्टूबर 2025