मुंबई, (ईएमएस)। महाराष्ट्र के कोल्हापुर और सिंधुदुर्ग जिलों के वन क्षेत्रों में चल रहे हाथियों को पकड़ने के अभियान को अब बॉम्बे हाई कोर्ट में चुनौती दी गई है। दरअसल इस अभियान पर तत्काल रोक लगाने की मांग करते हुए हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है। याचिका पर सुनवाई के दौरान, न्यायालय ने राज्य सरकार को इस संबंध में जानकारी प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। मामले की अगली सुनवाई 3 नवंबर को होगी। मिली जानकारी के अनुसार रत्नागिरी के सामाजिक कार्यकर्ता रोहन कांबले द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि कोल्हापुर-सिंधुदुर्ग वन विभाग हाथियों को पकड़ना बंद करे। मानव बस्तियों में हाथियों की आवाजाही और उनके प्रवास के संबंध में उचित जानकारी प्रस्तुत करने की भी मांग की गई है। याचिका में कोल्हापुर वन विभाग में हाथियों के संरक्षण और देखभाल की समीक्षा के लिए एक स्वतंत्र समिति के गठन की मांग की गई है। सुझाव दिया गया है कि इस समिति में वन विभाग के अधिकारियों, पशु चिकित्सा अधिकारियों के साथ-साथ पशु प्रेमियों और सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों को भी शामिल किया जाना चाहिए। याचिका में पिछले हाथी पकड़ो अभियान में वन विभाग द्वारा की गई गलतियों की ओर भी ध्यान आकर्षित किया गया है। दरअसल सिंधुदुर्ग जिले में 2009 और 2015 में हाथी पकड़ो अभियान चलाया गया था। हालाँकि, यह पूरी तरह विफल रहा था। दोनों अभियानों में 4 हाथियों की मौत हुई थी। अदालत में इस ओर ध्यान आकर्षित किया गया। याचिकाकर्ताओं ने यह भी कहा है कि हाथियों को पकड़ने की प्रक्रिया नियमों के अनुसार नहीं की गई थी। वर्तमान में, दोडामार्ग तालुका में 4 हाथी हैं। जबकि ओंकार हाथी वर्तमान में मडूरा पंचक्रोशी में है। ये हाथी जंगल से दूर एक बस्ती में उत्पात मचा रहे हैं। ये कृषि और बागवानी को भारी नुकसान पहुँचा रहे हैं। इसलिए, हाथी पकड़ो अभियान चलाने और हाथियों को पकड़ने की मांग जोर पकड़ रही है। इसके मद्देनजर प्रशासन को 31 दिसंबर तक हाथी ओमकार को पकड़ने की अनुमति मिल गई है। हाथी पकड़ने के अभियान ने गति पकड़ ली है, लेकिन अदालत में याचिका दायर होने के कारण इसमें देरी होने की संभावना है। इससे किसानों की परेशानी बढ़ सकती है। संजय/संतोष झा- २६ अक्टूबर/२०२५/ईएमएस