इस्लामाबाद(ईएमएस)। पाकिस्तान में रावलपिंडी के जनरल हेडक्वार्टर और इस्लामाबाद सरकार के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है। इसका कारण है आर्मी चीफ फील्ड मार्शल असीम मुनीर के कार्यकाल विस्तार को लेकर चल रहा विवाद। सरकार का कहना है कि मुनीर का कार्यकाल पहले ही 2027 तक बढ़ाया जा चुका है, इसलिए नए आदेश की कोई आवश्यकता नहीं है। वहीं, मुनीर 2025 से 2030 तक पांच साल का नया कार्यकाल विस्तार चाहते हैं। पहले खुद को फील्ड मार्शल घोषित करने वाले मुनीर अब लंबे समय तक सत्ता पर नियंत्रण चाहते हैं। खुफिया सूत्रों के अनुसार, यह विवाद केवल कार्यकाल बढ़ाने का नहीं, बल्कि सत्ता पर कब्जे का है। मुनीर चाहते हैं कि उनका नया कार्यकाल अभी से शुरू होकर 2030 तक चले, ताकि वे अगली दो सरकारों पर भी प्रभाव बनाए रखें। सूत्रों का कहना है कि सत्ताधारी पार्टी पीएमएल-एन इस प्रस्ताव को लेकर दुविधा में है। पार्टी को आशंका है कि यदि मुनीर को अभी पांच साल का विस्तार मिला, तो वे पूरे राजनीतिक तंत्र पर हावी हो जाएंगे।सूत्रों के मुताबिक, मुनीर ने पीएमएल-एन को सत्ता में वापस लाने का वादा किया है, लेकिन पार्टी इस पर भरोसा करने को तैयार नहीं है। इसके जवाब में पार्टी ने एक नया प्रस्ताव रखा है, जिसमें मुनीर को अभी दो साल का विस्तार दिया जाए और 2027 के बाद पांच साल के विस्तार पर विचार किया जाए। पार्टी की रणनीति यह है कि 2027 से पहले आम चुनाव कराए जाएं। यदि सत्ता फिर उनके हाथ में आई, तो वे मुनीर को नया कार्यकाल दे सकते हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, मुनीर को कुछ विदेशी देशों, विशेष रूप से कतर, से समर्थन मिल रहा है। कहा जा रहा है कि कतर शहबाज शरीफ सरकार और मुनीर के बीच मध्यस्थता की कोशिश कर रहा है। सेना के भीतर मुनीर के खिलाफ खास विरोध नहीं दिख रहा, क्योंकि उन्होंने अपने करीबी अधिकारियों को महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्त किया है। डीजी आईएसआई जनरल असीम मलिक को अनिश्चितकालीन विस्तार दिया गया है। लेफ्टिनेंट जनरल आमिर अहसान नवाज, जो पहले रावलपिंडी कोर कमांडर थे, अब जीएचक्यू में मिलिट्री सेक्रेटरी हैं। डीजी आईएसआई जनरल फैसल नसीर का तबादला होना था, लेकिन वे अब भी अपने पद पर बने हुए हैं। डीजीएमओ मेजर जनरल काशिफ अब्दुल्ला, जिन्हें मुनीर का खास माना जाता है, हाल ही में चीन, अमेरिका और सऊदी अरब के रक्षा सौदों में उनके साथ थे। लेफ्टिनेंट जनरल आमिर रजा, जो फरवरी में नियुक्त हुए, भी मुनीर के करीबी हैं। खुफिया सूत्रों का दावा है कि आईएसआई अब सरकार पर दबाव बढ़ा रही है। उसने तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान को सड़कों पर उतारने में भूमिका निभाई है ताकि शहबाज सरकार की नाकामी उजागर हो। इसके अलावा, आईएसआई ने एक नागरिक के जरिए प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों वाली याचिका दाखिल करवाई है, जिसे पाकिस्तान चुनाव आयोग ने स्वीकार कर लिया है। वीरेंद्र/ईएमएस/27अक्टूबर2025