राष्ट्रीय
29-Oct-2025
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नई दिल्ली (ईएमएस)। भारत और रूस संयुक्त रूप से अगली पीढ़ी की ब्रह्मोस-2 हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल तैयार करने की दिशा में आगे बढ़ चुके हैं। यह मिसाइल मंजूरी के अंतिम चरण में है और ब्रह्मोस-2 को 2031 तक भारतीय सशस्त्र बलों में शामिल करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। ब्रह्मोस-2 मौजूदा ब्रह्मोस मिसाइल का उन्नत संस्करण है, जो पहले से कहीं अधिक तेज, सटीक और तकनीकी रूप से आधुनिक होगी। ब्रह्मोस-2 मिसाइल की रेंज 1500 किलोमीटर तक होगी और यह ध्वनि की गति से पांच गुना (मैक-5 से मैक-8) यानी करीब 8500 से 10,000 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ान भर सकेगी। यह इतनी तेज गति से चलेगी कि किसी भी देश की मौजूदा मिसाइल डिफेंस प्रणाली के लिए ब्रह्मोस-2 को रोक पाना लगभग असंभव होगा। यह मिसाइल जमीन, समुद्र, हवा और पनडुब्बी से दागी जा सकेगी। रूस परियोजना में स्क्रैमजेट इंजन तकनीक दे रहा है, जबकि भारत इसके सीकर, सेंसर और इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर-रोधी एवियोनिक्स सिस्टम विकसित कर रहा है। मिसाइल में 200 से 300 किलोग्राम का विस्फोटक वारहेड लगाया जाएगा, जो किसी भी सामरिक या सैन्य ठिकाने को पूरी तरह नष्ट करने में सक्षम होगा। रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि ब्रह्मोस-2 के आने से भारत की रणनीतिक क्षमता में बड़ा इजाफा होगा। 1500 किमी की रेंज के चलते मिसाइल भारत से दागे जाने पर पूरा पाकिस्तान और चीन का करीब 20 से 25 प्रतिशत क्षेत्र कवर कर सकेगी। उदाहरण के लिए, राजस्थान या गुजरात से लांच करने पर कराची, लाहौर, इस्लामाबाद और रावलपिंडी जैसे प्रमुख पाकिस्तानी शहर निशाने पर आने वाले है। जबकि अरुणाचल प्रदेश या लद्दाख से लांच करने पर चीन के तिब्बत, सिचुआन, कुनमिंग और शिनजियांग के सैन्य ठिकाने मिसाइल की रेंज में आ जाएंगे। ब्रह्मोस-2 परियोजना की शुरुआत 2011 में हुई थी। इसके विकास में भारत की रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) और रूस की एनपीओ मशिनोस्ट्रोयेनीया प्रमुख भूमिका निभा रही हैं। 2020 में डीआरडीओ ने हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी डेमॉन्स्ट्रेटर व्हीकल (एचएसटीडीवी) का सफल परीक्षण किया था, जिसने ब्रह्मोस-2 के विकास को नई दिशा दी। रक्षा विश्लेषकों के अनुसार, इस मिसाइल की तैनाती के बाद भारत अमेरिका, रूस और चीन के बाद दुनिया का चौथा देश बन जाएगा जिसके पास हाइपरसोनिक मिसाइल तकनीक होगी। विशेषज्ञों का मानना है कि यह मिसाइल भारत की ‘नो फर्स्ट यूज़’ नीति को और विश्वसनीय बनाएगी तथा दुश्मन देशों के लिए एक प्रभावी डिटरेंस (रोकथाम क्षमता) साबित होगी। आशीष/ईएमएस 29 अक्टूबर 2025