वॉशिंगटन,(ईएमएस)। आसमान के दीवानों के लिए 5 नवंबर की रात बेहद खास होने वाली है। दरअसल इस रात चांद अपने सबसे करीब होगा और पहले से ज्यादा बड़ा व चमकीला नजर आएगा। अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा के अनुसार, यह इस साल का दूसरा और सबसे नजदीकी सुपरमून होगा। इस दौरान चंद्रमा पृथ्वी से लगभग 3,57,000 किलोमीटर की दूरी पर रहेगा। नासा ने बताया, कि सुपरमून तब होता है जब पूर्णिमा का चांद पृथ्वी की कक्षा में अपने सबसे निकट बिंदु (पेरिजी) पर पहुंचता है। इस कारण उसकी चमक सामान्य पूर्णिमा की तुलना में लगभग 30 प्रतिशत ज्यादा और आकार 14 प्रतिशत बड़ा दिखाई देता है। चंद्रमा की कक्षा पूर्ण वृत्ताकार न होकर अंडाकार होती है, इसलिए हर महीने इसकी दूरी में कुछ अंतर आता है। लोवेल ऑब्जर्वेटरी के खगोलशास्त्री लॉरेंस वासरमैन ने बताया कि सुपरमून के दौरान समुद्र में ज्वार की ऊंचाई सामान्य से थोड़ी बढ़ सकती है, क्योंकि चंद्रमा की गुरुत्वाकर्षण शक्ति बढ़ जाती है। हालांकि, यह बदलाव बहुत बड़ा नहीं होगा। विशेषज्ञों के अनुसार, सुपरमून देखने के लिए किसी दूरबीन या उपकरण की जरूरत नहीं होती। अगर आसमान साफ है तो यह नजारा शाम ढलने के बाद से लेकर आधी रात तक देखा जा सकेगा। हालांकि, चंद्रमा के आकार में अंतर को नंगी आंखों से पहचानना कठिन होता है, लेकिन तस्वीरों या पूर्व अवलोकनों से तुलना करने पर यह अंतर साफ झलकता है। यहां बताते चलें कि सुपरमून शब्द का प्रयोग पहली बार 1979 में खगोलशास्त्री रिचर्ड नोले ने किया था। नवंबर का यह ‘बीवर मून’ इस साल का सबसे बड़ा और चमकीला पूर्ण चंद्रमा होगा, जो अंतरिक्ष प्रेमियों के लिए एक शानदार अनुभव लेकर आएगा। हिदायत/ईएमएस 02नवंबर25