लेख
03-Nov-2025
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बिहार में पहले चरण के लिए 6 नवम्बर को वोट डाले जाएंगे। जैसे -जैसे मतदान की तारीख नजदीक आ रही है। वैसे-वैसे चुनावी प्रचार में भी तेजी आ रही है। सत्ताधारी भाजपा के शीर्ष नेता बिहार में पूरी ताकत झोंके हुए है। मोदी की रैली भाजपा के पक्ष में हवा तेज कर दी है। भाजपा सत्ता वापसी के लिए जबरदस्त रणनीति के साथ आक्रामक प्रचार कर रही है। केंद्र सरकार और बिहार राज्य की ढेरों जनकल्याणकारी योजनाओं पर खासा जोर दिए हुए है। भाजपा इस बात पर भी विशेष जोर दे रही है कि केंद्र और राज्य में एक ही दल की सरकार होने से जनता को सीधा फायदा मिल रहा है। राज्य में तेज गति के विकास के साथ केंद्र की सरकार से समन्वय करके चलने वाली सरकार की जरूरत थी और केंद्र साथ भी दे रही है। अभी बिहार में जो चुनावी बयार बह रही है उससे यही उभर कर आ रहा है कि भाजपा फिर सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर आएगी। राजद बिहार में प्रमुख विपक्षी दल है। कांग्रेस महागठबंधन में गठबंधन में है। जनसुराज अपने बूते चुनाव लड़ रही है। जबकि यह दल नीतीश कुमार सहित सभी दलों की निंदा और आलोचना कर विरोध करके चुनाव में प्रचार पर है। कांग्रेस के किसी रास्ट्रीय स्तर के नेता ने ताल नही ठोकी है। कुछ दिन पूर्व राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बिहार में महागठबंधन के समर्थन में सभा की गई थी। कांग्रेस का प्रचार अभियान प्रियंका और राहुल के सिर पर ज्यादा दिखाई दे रहा है। शायद दिग्विजय सिहं को बिहार चुनाव प्रचार की कमान सौंपी जा सकती है। कांग्रेस का बिहार में बेहतर अवसर नही है। क्योंकि तीस वर्षों से कांग्रेस सता से बाहर है। कांग्रेस के दिग्गज नेता भी मान रहे है कि बिहार में कांग्रेस के लिए बेहतर अवसर नही हो सकता है। पूरी ताकत झोंक दी है। कांग्रेस बिहार में सतारूढ़ पार्टी को गैर जरुरी केंद्र का समर्थन बता कर मतदाताओ को भ्रमित कर रही है। जो पिछले कई वर्षों से जनता को करती आ रही है। बिहार में कांग्रेस का समर्थन उसे बांधे रखने में सफल होता दिखाई नही दे रहा है। बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए के घोषणा पत्र जारी कर यहां की जनता को आकर्षित करने वाले कई वादे किए है। 125 यूनिट मुफ्त बिजली,केजी पीजी तक की मुफ्त शिक्षा और महिलाओ को लखपति बनाने के साथ साथ एक करोड़ युवाओ को रोजगार देने का वादा किया गया है। स्थानीय स्तर पर औधोगिकरण और रोजगार सृजन को बढ़ावा देने के लिए प्रत्येक जिले में आधुनिक विनिर्माण इकाई भी स्थापित की जाएगी। स्कुलो में आधुनिक कौशल प्रयोगशालाए होगी। बिहार में गरीबो के लिए पांच प्रमुख कल्याणकारी वादे किए है। 50 लाख पक्के घरों का निर्माण और सामाजिक सुरक्षा पेंशन हर एक घर को उपलब्ध की जाएगी। महिला शशक्तिकरण एनडीए के घोषणा पत्र का केंद्र बिंदु है। महिलाओ को योजना के अंतर्गत 2 लाख रुपए तक की वितीय सहायता मिलेगी। करोड़ महिलाओ को। लखपति बनाने का लक्ष्य है। महिला उधमी के लिए उधमो को आगे बढाने में सहायता के लिए मिशन करोड़पति शुरू करने की योजना की घोषणा बिहार में की है। विभिन्न ईबीसी योजनाओ के लिए सरकार दस लाख रुपए की सहायता दी जाएगी। किसान सम्मान निधि में छह हजार से नौ हजार की गई है। प्रत्येक पंचायत में प्रमुख फसलों के लिए खरीद केंद्र खोले जाने की योजना बना रहे है। बिहार चुनाव में अनेक योजनाओ को लागू करने के लिए मतदाताओ को भरोसा दिलाया है। मजबूत सरकार की आज के दौर में जरूरत है। जबकि केंद्र और राज्य सरकार घुसपैठियों के लिए कार्य कर रही है। उनको खदेड़ा जाएगा। बिहार में जिस तरह से निर्वाचन आयोग का अपमान कांग्रेस ने किया है उसी तरह बिहार में राजद सुप्रीमो तेजस्वी यादव की बदजबानी बढ़ती जा रही है। तेजस्वी ने निर्वाचन आयोग के साथ बतमीज से पेश आये और कहा कि चुनाव आयोग मर गया है क्या?सतारूढ़ पार्टी पर आरोप लगाने से पहले लालू की विरासत सम्भाल रहे तेजस्वी को अपने पिताश्री लालू के कार्यकाल को पढ़ लेना चाहिए। क्योंकि जंगलराज का तमगा बिहार से ही पैदा हुआ है झुमलेबाज बनकर जनता का भरोसा कोई नही जीत सकता है। विश्वास बनाए रखने के लिए त्याग करना पड़ता है। राजनौतिक महत्वकांशा के चलते जिस तरह तेजस्वी ने पाला बदला है। उससे यही सिद्ध होता है कि राजद सता के लिए छटपटा रही है। कई वर्षों से सत्ता से बाहर रही कांग्रेस और राजद को अब सत्ता का सुख भोगना है। लेकिन इनकी रीति नीति,जनता के साथ भेदभाव और तुष्टिकरण की नीतियां इनके राह में रोड़े अटका रही है। कांग्रेस देश की आजादी के बाद से तुष्टिकरण कर चुनाव जीत रही है। लेकिन अब वह समय लद गया है। राहुल गांधी मोदी को सत्ता से हटाने के लिए कितने षड्यंत्र कर रहे है। यह टूल का कार्य है। लेकिन मोदी अंगद की तरह अपने पांव धरकर खड़े है। इसके लिए कांग्रेस को अपनी राजनैतिक रणनीति के बारे में सोचना चाहिए। भाजपा के लिए विपक्षी दलों की चुनौती नगण्य है। क्योंकि एनडीए सत्ता में है और उनकी विकासलक्षी योजनाए सबका साथ,सबका विकास की अवधारणा पर चल रही है। इस बार चुनाव को निष्पक्ष और शांतिपूर्ण कराने के लिए निर्वाचन आयोग ने कई कदम उठाए है और यह विपक्ष को नही भा रहा है। चुनाव के दौरान कोई अप्रिय घटना नही घटे उसके लिए निगरानी रखी जायेगी। गलत हथकंडों के मतदाताओं पर भी नजर रखी जा रही है। पहले चुनाव में बैलेट पेपर और मुहर से सरकारे बनती थी। विज्ञान ने प्रगति की तो चुनाव इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन से होने लगे। अब इसी ईवीएम से सरकार बनती है। प्रत्याशी और पार्टी समर्थक फेसबुक, ट्विटर और वाट्सएप अपने प्रचार के लिए खूब इस्तेमाल कर रहे है। राहुल औऱ प्रियंका बिहार चुनाव में अपनी ताकत झोंक रही है। किंतु यह साफ है कि कांग्रेस विचार, नीति, रणनीति और नेतृत्व के स्तर पर जिस दुर्दशा का शिकार है। उससे केवल प्रियंका के सक्रिय होने से कोई फर्क नही पड़ेगा। क्योंकि हम देखते आ रहे है। कांग्रेस देश मे जिस तरह से कमजोर हो चुकी है इसमे उसके अंदर नई जान फूंकने के लिए राजनीति का तौर तरीका बदलने की जरूरत है। कांग्रेस नेतृत्व को अपना पुराना तरीका बदलना होगा। लेकिन प्रियंका ऐसा नही कर पायेगी। प्रियंका की राजनैतिक सोच,संगठन क्षमता,भाषण क्षमता सभी अपरीक्षित है। प्रियंका वर्तमान राजनीति और जनाकांक्षाओं को कितना समझती है,वह भी स्पष्ट है। कांग्रेस की चाल, चरित्र और चिंतन में कभी बदलाव नही लाएगी। बिहार चुनाव में विपक्ष की भूमिका कठधरे में है और विपक्ष के दागदार राजनीति से उभार पाना चने चबाने जैसा कठिन कार्य है। ईएमएस / 03 नवम्बर 25