बिहार विधानसभा चुनाव-2025 का महासंग्राम जारी है। 6 और 11 नवंबर को मतदाता नेताओं का भाग्य ईवीएम में कैद करेंगे। और 14 नवंबर को यह पता चल जाएगा कि बिहार की सत्ता कौन संभालेगा। सर्व विदित है कि बिहार की राजनीति और समाज दोनों ही जाति आधारित है। ऐसे में टिकट वितरण से लेकर सीएम चेहरे के निर्धारण तक जातियों का खासा प्रभाव दिखता है। 2022 की जाति आधारित गणना के अनुसार बिहार में पिछड़ों और अति पिछड़ों को मिलाकर कुल ओबीसी आबादी 63 फीसदी है। इस लिहाज से इस जाति समूह का दावा सीएम की कुर्सी पर भी काफी मजबूत है। वैसे भी कोई भी गठबंधन चुनाव में जीत दर्ज करे, सीएम फेस एक ओबीसी ही होगा। यह पहले से ही तय है। इसकी वजह यह है कि महागठबंधन ने तेजस्वी यादव को सीएम फेस घोषित कर दिया है, जबकि एनडीए नीतीश कुमार के नेतृत्व में भरोसा जताया है। इस लिहाज से दोनों ही सीएम प्रत्याशी पिछड़ा वर्ग से आते हैं। दरअसल, बीते कुछ दशकों से बिहार की आधी आबादी पुरुष मतदाताओं के मुकाबले सर्वाधिक मतदान कर रही हैं। सत्ता की कुर्सी का रास्ता महिलाओं के बीच से ही गुजरता है। हालिया, कुछ चुनावी सर्वेक्षण भी इस बात की पुष्टि करते हैं। बिहार चुनाव में महिलाएं सियासत की बदलती गतिशीलता की नई तस्वीर पेश करेंगी। यह भी किसी से नहीं छिपा है कि चुनाव में पुरुषों के मुकाबले महिला ज्यादा मतदान में हिस्सा लेती हैं, जिनमें बिहार सबसे आगे है। राज्य में चुनाव कोई भी हो। सभी में महिलाओं का वोटिंग प्रतिशत अव्वल ही रहा है। इस विधानसभा चुनाव में मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए चुनाव आयोग ने भी कोई कसर नहीं छोड़ी है। छह नवंबर को राज्य में होने वाले मतदान में अधिकांश बूथों पर आधी आबादी भी पुरुष मतदान कर्मियों के कंधे में कंधा मिलाकर मतदान कराती नजर आएंगी। प्रशासनिक स्तर पर चिन्हित किए गए चुनिंदा केंद्रों पर महिला कर्मी को पी टू व पी थ्री के रूप में कमान सौंपी गई है। इसके अलावा, पर्दानशीं महिला मतदाताओं की पहचान के लिए भी महिला कर्मियों को विशेष जिम्मेदारी दी गई है। साथ ही महिलाओं के लिए चिन्हित किए गए हर विधानसभा सीट के लिए बूथ पर सिर्फ महिला कर्मियों की तैनाती की जाएगी। बिहार में मतदाताओं के अलावा उम्मीदवार के तौर भी दर्जनों महिलाएं इस बार भी मैदान में ताल ठोक रही हैं। 11 विधानसभाओं में 10 पुरुष वोटरों की तुलना में 9 महिला वोटर हैं। अंत में बात है कि राजनीतिक दलों के घोषणा पत्र की। जिसमें सब अपने-अपने दावे और वादे करते हैं। बिहार में महागठबंधन का सीएम चेहरा बने तेजस्वी यादव ने सबसे पहले अपना घोषणा पत्र जारी किया। जिसमें उन्होंने कई दावे और वादे भी किए। हालांकि कुछ वादे ऐसे भी हैं कि वह चाहकर भी पूरा नहीं कर सकते। हालांकि युवा पक्ष का रुझान महागठबंधन की तरफ ज्यादा दिख रहा है। लेकिन महिला वर्ग की दूरी दिख रही है। वहीं एनडीए के संकल्प पत्र पर नजर डालें तो दावे कम और विकास की बातें ज्यादा हैं। जिसमें खासकर आधी आबादी यानी महिलाओं को प्रमुखता दी गई है। एनडीए के जारी संकल्प पत्र मेंं पार्टी ने दावा किया है कि सरकार बनने पर एक करोड़ से अधिक सरकारी नौकरी व रोजगार दिया जाएगा। हर जिले में मेगा स्किल सेंटर खोला जाएगा। हर जिले में फैक्ट्री व 10 नए औद्योगिक पार्क का निर्माण किया जाएगा। 50,000 से अधिक कुटीर उद्योग स्थापित किए जाएंगे। महिला रोजगार योजना से महिलाओं को 2 लाख तक की सहायता राशि दी जाएगी। 1 करोड़ महिलाएं लखपति दीदी बनेंगी। ‘मिशन करोड़पति’ के माध्यम से महिला उद्यमी करोड़पति बनेंगी। किसान सम्मान निधि 6,000 से बढ़ाकर 9,000 रुपए की सहायता राशि दी जाएगी। मत्स्य पालकों को 4,500 से बढ़ाकर 9,000 रुपए की सहायता राशि दी जाएगी। सभी फसलों के लिए एमएसपी की गारंटी दी जाएगी। हर अनुमंडल में एससी व एसटी के विद्यार्थियों के लिए आवासीय विद्यालय बनाया जाएगा। गरीब परिवारों के छात्रों को नर्सरी से पीजी तक मुफ्त गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दी जाएगी। 50 लाख नए पक्के मकान, मुफ्त राशन, 125 यूनिट मुफ्त बिजली, सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना जारी रहेगा। माता जानकी की जन्मस्थली को विश्वस्तरीय आध्यात्मिक नगरी के रूप में विकसित किया जाएगा। इसे धार्मिक नगरी सीतापुरम के रूप में विकसित करेंगे। अगले पांच साल में बिहार को बाढ़ मुक्त बनाया जाएगा। ये ऐसे वादे हैं जो सीधे जनता से जुड़े हैं। बिहार विधानसभा चुनाव में कुल मिलाकर महिलाएं निर्णायक भूमिका में होंगी, ये बात महागठबंधन तेजस्वी यादव और नीतीश से लेकर प्रधानमंत्री भी जानते हैं। गौरतलब है कि पिछले विधानसभा में भाजपा ने राज्य में 74 विधानसभा सीटें जीती थी। जबकि, जेडीयू मात्र 43 पर सिमट गई थी, लेकिन इस बार की स्थिति पहले से भिन्न हैं। दोनों दल 101-101 सीटों पर लड़ रहे हैं। (लेखक- पत्रकार हैं।) (यह लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं इससे संपादक का सहमत होना अनिवार्य नहीं है) .../ 3 नवम्बर/2025