ज़रा हटके
03-Nov-2025
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स्वालबार्ड (ईएमएस)। नॉर्वे का आर्कटिक द्वीप स्वालबार्ड में एक अजीब नियम लागू है। इस द्वीप पर कोई इंसान न तो जन्म ले सकता है और न ही मर सकता है। यह द्वीप ‘डिप्रेशन आइलैंड’ के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि यहां सर्दियों में महीनों तक सूरज नहीं निकलता, जिससे लोग अवसाद का शिकार हो जाते हैं। स्वालबार्ड उत्तरी ध्रुव के करीब स्थित है और यह नॉर्वे का हिस्सा है। इसे 1920 की स्वालबार्ड संधि के तहत शासित किया जाता है, जिस पर 40 से अधिक देशों ने हस्ताक्षर किए हैं। इस द्वीप पर कोई स्थायी अस्पताल नहीं है और अंतिम संस्कार की अनुमति भी नहीं दी जाती। यही वजह है कि गर्भवती महिलाओं को 36 सप्ताह पूरे होते ही मुख्य नॉर्वे के ट्रॉम्सो शहर भेज दिया जाता है, वहीं गंभीर रूप से बीमार या मृत्यु के करीब पहुंचे लोगों को भी वहीं ले जाया जाता है। यह नियम न केवल स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए बनाया गया है, बल्कि स्वालबार्ड की नाजुक पारिस्थितिकी को बचाने के उद्देश्य से भी लागू किया गया है। स्वालबार्ड का मुख्य शहर लॉन्गइयरब्येन है, जहां लगभग 2,500 लोग रहते हैं इनमें अधिकतर वैज्ञानिक, खनिक और पर्यटक शामिल हैं। यहां परिवार बसाना या स्थायी रूप से रहना संभव नहीं है। स्थानीय डॉक्टरों के अनुसार, “हमारे पास एक छोटा मेडिकल क्लिनिक है, लेकिन न तो जटिल प्रसव की सुविधा है और न ही अंतिम देखभाल की।” 2017 में एक गर्भवती महिला ने यहां बच्चे को जन्म देने की कोशिश की थी, लेकिन उसे समय से पहले ट्रॉम्सो भेज दिया गया। इसी तरह, 2023 में एक बुजुर्ग व्यक्ति को मौत से कुछ दिन पहले हेलीकॉप्टर से मुख्य भूमि भेजा गया। यहीं स्थित है विश्व प्रसिद्ध ग्लोबल सीड वैल्ट, जिसे “डूम्सडे आर्क” कहा जाता है। इसमें दुनिया भर की 100 करोड़ से अधिक फसलों के बीज संग्रहित हैं, ताकि जलवायु परिवर्तन या किसी वैश्विक आपदा के समय फसलों की विविधता सुरक्षित रह सके। स्वालबार्ड में कुत्ता पालना, प्लास्टिक बैग का उपयोग और नई कब्रें बनाना पूरी तरह प्रतिबंधित है। नॉर्वे सरकार का कहना है कि यह सख्त नीति व्यावहारिक है, क्योंकि सर्दियों में यहां तापमान माइनस 30 डिग्री सेल्सियस तक गिर जाता है और हवाई मार्ग बंद हो जाते हैं। स्वालबार्ड का इतिहास भी दिलचस्प है 16वीं शताब्दी में यह व्हेल शिकार के लिए खोजा गया था, फिर यह कोयला खनन का केंद्र बना। लेकिन 1990 के दशक के बाद से यह पर्यावरण संरक्षण और वैज्ञानिक अनुसंधान का प्रमुख केंद्र बन गया। सुदामा/ईएमएस 03 नवंबर 2025