वॉशिंगटन (ईएमएस)। हाल के वर्षों में डायबिटीज के मामले छोटे बच्चों में तेजी से बढ़ रहे हैं। इसे लेकर विशेषज्ञों का कहना है कि बच्चों में डायबिटीज बढ़ने की सबसे बड़ी वजह है उनकी अनियमित जीवनशैली और गलत खानपान की आदतें। वहीं, मोबाइल और टीवी पर लंबे समय तक समय बिताने से उनकी शारीरिक सक्रियता कम हो जाती है और शरीर में फैट बढ़ने लगता है। आज के बच्चे जंक फूड, मिठाइयों, कोल्ड ड्रिंक्स और प्रोसेस्ड फूड का अत्यधिक सेवन करते हैं, जिससे ब्लड शुगर लेवल असंतुलित हो जाता है। यही मोटापा धीरे-धीरे टाइप-2 डायबिटीज का रूप ले लेता है। विशेषज्ञ बताते हैं कि जिन बच्चों के परिवार में पहले से डायबिटीज के मरीज होते हैं, उनमें इस बीमारी के होने की संभावना और अधिक होती है। कुछ मामलों में वायरल संक्रमण या इम्यून सिस्टम की खराबी भी बच्चों में टाइप-1 डायबिटीज का कारण बन सकती है। टाइप-1 डायबिटीज एक ऑटोइम्यून रोग है, जिसमें शरीर का इम्यून सिस्टम गलती से पैंक्रियाज़ की उन कोशिकाओं पर हमला करता है जो इंसुलिन का निर्माण करती हैं। इसके कारण शरीर में इंसुलिन का उत्पादन बहुत कम या पूरी तरह बंद हो जाता है। दूसरी ओर, टाइप-2 डायबिटीज, जो पहले केवल वयस्कों में पाई जाती थी, अब बदलती जीवनशैली, मोटापे और शारीरिक निष्क्रियता के कारण किशोरों और छोटे बच्चों में भी आम होती जा रही है। डॉक्टरों के अनुसार, बच्चों में डायबिटीज के शुरुआती लक्षणों को पहचानना बहुत जरूरी है। अगर कोई बच्चा एक घंटे में कई बार पेशाब करने जाता है, बार-बार प्यास लगती है, बहुत भूख लगती है, वजन तेजी से घटता या बढ़ता है, आंखों की रोशनी धुंधली पड़ती है या घाव देर से भरते हैं, तो यह डायबिटीज के संकेत हो सकते हैं। कई बार यह बीमारी धीरे-धीरे बढ़ती है और शुरुआती लक्षणों के नजरअंदाज होने से शरीर को अंदरूनी रूप से काफी नुकसान पहुंच जाता है। चिकित्सकों का कहना है कि बच्चों में डायबिटीज के बढ़ने की एक बड़ी वजह यह भी है कि अब वे बाहर खेलने के बजाय ज्यादातर समय मोबाइल, टीवी या कंप्यूटर स्क्रीन के सामने बिताते हैं। इससे उनकी कैलोरी बर्न नहीं होती और शरीर में अतिरिक्त चर्बी जमा होने लगती है। इसके अलावा, फास्ट फूड और शुगरयुक्त पेय पदार्थों का सेवन बच्चों की सेहत के लिए बेहद हानिकारक साबित हो रहा है। ग्रामीण इलाकों से लेकर शहरी परिवारों तक में फास्ट फूड संस्कृति बढ़ चुकी है, जिससे यह समस्या व्यापक रूप से फैल रही है। बच्चों में डायबिटीज की रोकथाम के लिए माता-पिता को उनकी दिनचर्या पर विशेष ध्यान देना चाहिए। बच्चों को पौष्टिक भोजन, नियमित व्यायाम और आउटडोर खेलों की आदत डालना जरूरी है। सुबह-शाम टहलना, साइकलिंग करना या दौड़ना जैसी गतिविधियां उनके शरीर की इंसुलिन सेंसिटिविटी बढ़ाने में मदद करती हैं। साथ ही, मीठे पेय, बर्गर, पिज़्ज़ा और चिप्स जैसी चीजों से परहेज करने से ब्लड शुगर को नियंत्रित रखने में मदद मिलती है। विशेषज्ञ चेतावनी देते हैं कि अगर बच्चों में डायबिटीज का समय पर पता नहीं लगाया गया और उसका सही इलाज शुरू नहीं किया गया, तो यह आगे चलकर किडनी, आंखों और दिल की बीमारियों का कारण बन सकती है। सुदामा/ईएमएस 02 नवंबर 2025