उनकी डिपोर्टेशन प्रक्रिया पर फिलहाल रोक वॉशिंगटन,(ईएमएस)। अमेरिका में हत्या के झूठे आरोप में 43 साल जेल में गुजरने वाले भारतीय मूल के सुब्रमण्यम वेदम को बड़ी राहत मिली है। दो अलग-अलग अमेरिकी अदालतों ने फिलहाल उनकी डिपोर्टेशन (देश से निष्कासन) प्रक्रिया को रोक दिया है। अब यह मामला इमिग्रेशन अपील बोर्ड में जाएगा, जिसका निर्णय आने में कुछ महीने लग सकते हैं। 64 वर्षीय वेदम को इस साल 3 अक्टूबर को जेल से रिहा किया गया था। वे अमेरिका के पेनसिल्वेनिया राज्य के स्थायी निवासी हैं। वर्ष 1980 में अपने क्लासमेट थॉमस किंसर की हत्या के आरोप में उन्हें गिरफ्तार किया गया था। 1983 और 1988 में दो बार दोषी ठहराए जाने के बाद उन्हें बिना पैरोल के आजीवन कारावास की सजा दी गई थी। हालांकि उन्होंने हमेशा अपनी बेगुनाही का दावा किया। इस साल अगस्त 2023 में मामले में नया सबूत सामने आया। जांच में साफ हुआ कि हत्या में इस्तेमाल की गई गोली उस बंदूक से नहीं चली थी, जिस बंदूक को पुलिस ने वेदम से जोड़ा था। रिपोर्ट में दर्ज था कि गोली का घाव .25 कैलिबर की नहीं था, जैसा कि पुलिस ने दावा किया था। वेदम के नए वकील बालचंद्रन को रिपोर्ट तभी मिली, जब उन्होंने केस के पुराने दस्तावेजों की समीक्षा की। बाद में सामने आया कि सरकारी अभियोजन पक्ष ने यह रिपोर्ट जानबूझकर अदालत से छिपाई थी। अदालत ने इस हरकत को गंभीर अन्याय मनाकर वेदम की सजा रद्द कर रिहाई का आदेश दिया। सुब्रमण्यम वेदम सिर्फ 9 महीने की उम्र में अपने माता-पिता के साथ कानूनी रूप से अमेरिका आए थे। उनके पिता पेन स्टेट यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर थे और परिवार स्टेट कॉलेज में रहता था। वकीलों के मुताबिक, वेदम की नागरिकता की अर्जी करीब स्वीकृत हो चुकी थी, जब 1982 में उन पर यह झूठा आरोप लगा। रिहाई के बाद भी अमेरिकी इमिग्रेशन डिपार्टमेंट ने उन्हें हिरासत में लिया था और अब वे लुइजियाना के एक डिपोर्टेशन सेंटर में हैं। वेदम की बहन सरस्वती वेदम ने कहा, “दो अदालतों ने माना है कि उन्हें डिपोर्ट नहीं किया जाना चाहिए। वे उस अपराध के लिए 43 साल जेल में रहे जो उन्होंने किया ही नहीं। अब उन्हें भारत भेजना एक और बड़ा अन्याय होगा।” आशीष दुबे / 04 नवंबर 2025